राजनीतिक

उपचुनाव से पहले हिंसक आंदोलन भी नहीं बना भाजपा के लिए अग्निपथ, यूपी से त्रिपुरा तक खिला कमल

 नई दिल्ली
 
भारतीय जनता पार्टी का सिक्का इस बार के उपचुनाव में जमकर चला है। उपचुनाव से पहले अग्निपथ स्कीम को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए थे। जगह-जगह पर हिंसा और आगजनी की घटनाएं हुई थीं। इस बात से आशंका थी कि कहीं उपचुनाव में भाजपा को अग्निपथ के इस विरोध का खामियाजा न भुगतना पड़े। लेकिन उत्तर प्रदेश से त्रिपुरा तक उपचुनाव के नतीजे आने के साथ ही यह स्पष्ट हो गया कि यह हिंसक आंदोलन भाजपा के लिए अग्निपथ नहीं बन पाया।

यूपी में सपा की गढ थी दोनों सीटें
बता दें कि लोकसभा उपचुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा का मुकाबला सपा से था। दोनों सीटें ऐसी थीं, जहां समाजवादी पार्टी का वर्चस्व माना जाता है। एक तरफ रामपुर में आजम खान का गढ़ था तो दूसरी तरफ आजमगढ़ में समाजवादी पार्टी काफी मजबूत मानी जाती है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मार्च में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा यहां पर एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। हालांकि उपचुनाव से पहले अग्निपथ स्कीम के विरोध में बलिया और वाराणसी समेत कई जिलों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। लेकिन आजमगढ़ और रामपुर के चुनावी नतीजे इससे बेअसर रहे।

त्रिपुरा में भी बजा डंका
इसके अलावा त्रिपुरा उपचुनाव में भी भाजपा का डंका बजा। यहां पर मुख्यमंत्री माणिक साहा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी। लेकिन यहां पर भाजपा ने बड़ी जीत हासिल कर ली है। यहां की कुल चार विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने तीन पर जीत हासिल की है। वहीं एक सीट कांग्रेस के हिस्से में आई है। जिस तरह से उत्तर प्रदेश से लेकर त्रिपुरा तक कमल खिला है, उसने यह साबित कर दिया कि चुनावी नतीजों पर अग्निपथ को लेकर हुई हिंसा का कोई असर नहीं हुआ।

 

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