धर्म

सरस्वती पूजा में देवी मां को लगाएं ये राजभोग, देवी हो जाएगी प्रसन्न

बसंत पंचमी या सरस्वती पूजा का त्योहार शनिवार, 5 फरवरी 2022 को मनाया जाएगा। यह एक त्योहार है जो माघ के हिंदू चंद्र महीने के पांचवें दिन मनाया जाता है, जो सर्दियों के मौसम के अंत और वसंत के आने का प्रतीक है। इस दिन ज्ञान और संगीत की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है और उन्हें पीले रंग से बने भोजन का भोग लगाया जाता है। इस दिन लोग पीले रंग के कपड़े भी पहनते हैं। ये रंग समृद्धि, शांति, प्रकाश, आशावाद और ऊर्जा का प्रतीक है। ऐसे में आज हम आपको बताते हैं, 6 पीले रंग के पकवान , जो आप देवी मां को भोग लगाकर उनकी असीम कृपा पा सकते हैं…

पीले रंग को प्रकृति की प्रतिभा और जीवन की जीवंतता का प्रतीक माना जाता है। बसंत पंचमी पर पीले रंग के कपड़ों में माता सरस्वती की पूजा की जाती है। साथ ही उन्हें पीले रंग की चीजों से ही भोग लगाया जाता है, क्योंकि उन्हें ये रंग अति प्रिय है।

इस दिन माता सरस्वती केसरी हलवा और मीठे चावल का भोग लगता है। यह भोग सुगंधित चावल, देसी घी, चीनी, मावा, बहुत सारे सूखे मेवे और सबसे महत्वपूर्ण केसर से तैयार किया जाता है, जो इसे एकदम पीला रंग देता है।

खिचड़ी
इस दिन नमकीन में सरस्वती मां को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। बसंत पंचमी के अवसर पर आप भी चावल और दालों के साथ शुद्ध घी और ढ़ेर सारी हेल्दी सब्जियां डालकर खिचड़ी बना सकते हैं।

बूंदी के लड्डू
बूंदी के लड्डू किसी भी शुभ त्योहार या अवसर के लिए पसंदीदा मिठाई है। इसे बेसन के छोटे-छोटे पकौड़ों से बनाया जाता है, तली हुई और गर्म चीनी की चाशनी में बेसन की पकौड़ियों को डुबोया जाता है, और फिर इससे लड्डू बनाएं जाते है। जिसे बाद में मेवों से सजाया जाता है।

राजभोग
ये स्पंजी बंगाली मिठाई पनीर के साथ बनाई जाती है और इसमें केसर, इलायची पाउडर, बादाम और पिस्ता डाला जाता है। साथ ही मीठी चाशनी में पकाया जाता है। बंसती पंचमी पर मां सरस्वती को भोग लगाने के लिए इसे आप आसानी से घर में बना सकते हैं।

बेसन चूरमा
बेसन, घी और पिसी चीनी के साथ बनाया गया, राजस्थान का यह व्यंजन बसंत पंचमी के त्योहार पर जरूर बनाया जाता है। इसे और हेल्दी बनाने के लिए आप इसमें अपनी पसंद के नट्स भी डाल सकते हैं।

केसरी शीरा
बसंत पंचमी के दिन तक पूरे भारत में ठंड पड़ती है। ऐसे में आप इस दिन केसरिया शीरा बना सकते हैं। इसे खासतौर पर महाराष्ट्रीयन और गुजराती घरों में बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए सूजी और दूध का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही पीला रंग देने के लिए केसर और खूब सारे नट्स डाले जाते हैं।

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