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… जब रो दिए लोगों को खुशियां देने वाले पंडित प्रदीप मिश्रा

सुमित शर्मा, सीहोर।
सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा जिनके प्रवचन सुनकर लोगों के मन खुश होते हैं, जिनकी शिव पुराण लोगों का कल्याण कर रही है, जिनके दिए हुए मंत्रों से लोगों की बीमारियां ठीक हो रही हैं, जिनके कारण सीहोर जिला देश के कोने-कोने के साथ ही विदेशों में भी ख्याति प्राप्त कर रहा है, जिनके कारण आज सीहोर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है, जिनके कारण यहां के व्यापार, स्थानीय उत्पादों की मार्केटिंग की प्रबल संभावना है, जिनसे मिलने के लिए श्रद्धालु भक्त दूर-दूर से आ रहे हैं और वे यहां आकर स्वस्थ होकर, खुश होकर, प्रसन्न होकर जा रहे हैं वे पंडित प्रदीप मिश्रा खुद उस समय रो दिए जब उनके द्वारा आयोजित चितावलिया हेमा कुबेश्वर धाम में होने वाली शिव महापुराण एवं रुद्राक्ष महोत्सव को निरस्त करने का निर्णय व्यास गादी से सुनाना पड़ा। निश्चित रूप वे पल पंडित प्रदीप मिश्रा के साथ ही वहां मौजूद लाखों लोगों के अलावा उन लोगों के लिए भी मन को दुखी करने वाले थे, जब आयोजन को निरस्त करने की घोषणा व्यास गादी से कर रहे थे। पिछले करीब एक माह से चल रही तैयारियों के बीच प्रशासन के अधिकारियों की भी वहां विजिट हुई। उन्होंने भी व्यवस्थाओं को देखा और आयोजन की जिम्मेदारियों को प्रशासनिक स्तर पर उठाने की बात भी कही, लेकिन आयोजन के पहले दिन ही प्रशासनिक एवं पुलिस व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गईं। पंडित प्रदीप मिश्रा के चितावलिया हेमा कुबेरेश्वर धाम में होने वाले आयोजन के लिए देशभर के कोने-कोने सहित विदेशों से भी मेहमानों के आने का सिलसिला जो शुरू हुआ तो इस क्रम ने प्रशासन के लिए भी चिंता खड़ी कर दी। देखते ही देखते आयोजन स्थल के आसपास सहित भोपाल-इंदौर हाईवे मार्ग भी पूरी तरह से जाम हो गया। इसी जाम में फंसे कुछ वीआईपी आयोजन की तैयारियों से इतने खफा हो गए कि उन्होंने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई और इस फटकार का असर यह हुआ कि पंडित प्रदीप मिश्रा सहित आयोजन समिति पर जमकर दबाव बनाया गया कि वे कार्यक्रम को निरस्त कर दें और आखिरकार हुआ भी वही। ऊपर के भारी दबाव के चलते पंडित प्रदीप मिश्रा को व्यास गादी से आयोजन को निरस्त करने का निर्णय लेना पड़ा। पंडित प्रदीप मिश्रा ने उपस्थित लाखों की संख्या में श्रद्धालु भक्तों से माफी मांगी, क्षमा याचना की, साथ ही भरोसा भी दिलाया कि जल्द ही आयोजन को इसी भव्यता के साथ उत्तराखंड की धरा हरिद्वार में किया जाएगा। यह निर्णय वहाँ मौजूद लाखों भक्तों के लिए जरूर खुशियों भरा था, लेकिन आयोजन को निरस्त करने का निर्णय सुनाने के बाद पंडित प्रदीप मिश्रा इतने भावुक हो गए, मन से इतने टूट गए कि वे खुद ही व्यास गादी पर रो पड़े। आयोजन का निरस्त होना निश्चित रूप से सीहोर सहित जिलेभर के वासियों के अलावा जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन और मध्यप्रदेश सरकार की नाकामी है, किरकिरी है। यदि जिला प्रशासन चाहता तो इस आयोजन के लाभ व जिले की बेहतरी के लिए इसका उपयोग हो सकता था। कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर लगातार सीहोर सहित बुधनी में बनने वाले उत्पादों की मार्केटिंग की बात कर रहे हैं। कई मौकों पर वे कह चुके हैं कि स्थानीय उत्पादों को प्रमोट किया जाए। ऐसे आयोजन इन उत्पादों को प्रमोट करने के लिए सबसे बेहतर मंच हो सकते हैं। जिला प्रशासन को आयोजन स्थल के आसपास स्थानीय उत्पादों के स्टाल लगवाने चाहिए थे, ताकि यहां आने वाले लोग उन उत्पादों को देखें और उन्हें खरीदें। सीहोर जिले के कई महिला स्व सहायता समूहों द्वारा भी विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। इनमें खाद्य सामग्रियों के अलावा घरों में उपयोग होने वाले ऐसे कई सामान हैं जो लोगों के लिए उपयोगी है। इन उत्पादों की मार्केटिंग के लिए जिला प्रशासन को ऐसे आयोजन का लाभ लेना चाहिए था।

लगाई आयोजन निरस्त करने के बाद अधिकारियों की ड्यूटी-
28 फरवरी से शुरू हुए रुद्राक्ष महोत्सव के पहले दिन ही जब आयोजन को निरस्त करने का निर्णय लिया। उसके बाद प्रशासन ने एक आदेश जारी कर एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारियों सहित अन्य अमले की ड्यूटी लगाई। आदेश में कहा गया है कि एक मार्च से सभी ड्यूटी पर तैनात रहे। ड्यूटी चार्ट में सभी को अलग-अलग समय में ड्यूटी करने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि यह निर्णय यदि पहले हो जाता तो शायद यह स्थितियां निर्मित न होती। कहते हैं कि जब जागो, तभी सवेरा…

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