पंडित प्रदीप मिश्रा बोले, इस बार मनाया जाएगा ऐतिहासिक होली महोत्सव
पंडित प्रदीप मिश्रा बोले, इस बार मनाया जाएगा ऐतिहासिक होली महोत्सव
सीहोर। भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने बुधवार को शिव महापुराण में यहां पर मौजूद हजारों श्रद्धालुओं से कहा कि हमें अपनी पीढ़ी को नया संदेश देना है। उन्होंने कहा कि अब सीहोर जिले में नवाब की होली नहीं, महादेव की होली खेली जाएगी। हम स्वयं इस होली को खेलने के लिए शहर के छावनी स्थित भगवान चमत्कालेश्वर महादेव मंदिर से इसकी शुरुआत करते हुए शहर के तहसील चौराहे स्थित मनकामेश्वर मंदिर पर जाएंगे। पूरा शहर इस नई परंपरा का समर्थन करने को राजी है। हम सब मिलकर उत्साह के साथ भगवान भोले की होली खेलेंगे। शिव महापुराण के तीसरे दिन भगवान शिव और माता-पार्वती के विवाह का आयोजन किया गया। भागवत भूषण प्रदीप मिश्रा ने कहा कि मां पार्वती ने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की। भगवान शंकर ने पार्वती की परीक्षा के लिए सप्तर्षियों को भेजा। सप्तर्षियों ने पार्वती से शंकर के अनेक अवगुणों का वर्णन किया, जिससे पार्वती महादेव से विवाह न करें, लेकिन देवी नहीं मानीं। अब भगवान शंकर प्रकट हुए और पार्वती को वरदान दिया। उन्होंने कहा कि जब भगवान शंकर माता सती को राम कथा सुना रहे थे, तभी आकाश मार्ग से कई देवता जा रहे थे। सती के पूछने पर भगवान शंकर ने बताया कि दक्ष प्रजापति ने घमंडवश ब्रह्मा, विष्णु व महेश का अपमान करने के लिए अपने घर महायज्ञ का आयोजन किया था। इसमें तीनों देवताओं को नहीं बुलाया गया। सती ने जब वहां जाने की इच्छा जताई तो भगवान शंकर ने बिना बुलाए जाने पर कष्ट का भागी बनने की बात कही। इसके बाद भी सती नहीं मानी और पिता के घर चली गई। यज्ञ में भगवान शंकर, विष्णु व ब्रह्मा का अपमान देखकर हवन कुंड में कूदकर खुद को अग्नि में समर्पित कर दिया। इसके बाद भगवान शंकर के दूतों ने यज्ञ स्थल को तहस-नहस कर दिया। भगवान शंकर भी शोकाकुल होकर समाधि में लीन हो गए। कालांतर में माता सती देवराज हिमालय के घर में पार्वती के रूप में पैदा हुईं।
इस बार मनाई जाएगी ऐतिहासिक महादेव की होली-
इस संबंध में जानकारी देते हुए विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि इस बार ऐतिहासिक होली मनाई जाएगी। पूर्व में भोपाल के नवाब हमीदउल्लाह खान सीहोर आते थे। वर्तमान कलेक्ट्रेट में पॉलीटिकल आॅफिस था, वहां और पुरानी निजामत, ब्राह्मणपुरा और बारादरी में वह उपस्थित रहते थे। होली के तीसरे दिन नवाब आष्टा पहुंचते थे। नवाबी परंपरा आज भी यहां कायम है, लेकिन अब इस परंपरा को बदला जाएगा और इस बार महादेव होली मनाई जाएगी।