कार्तिक माह में तुलसी का रोपण, दान और पूजन से जीवन के कष्ट हो जाते हैं दूर
हिंदू ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार कार्तिक माह में तुलसी पूजन से कई तरह के सकारात्मक बदलाव आते हैं, जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है। भगवान नारायण की प्रिय तुलसी को देवी लक्ष्मी का ही रूप माना गया है इसलिए इसे घर में लगाना बेहद शुभ माना गया है।
कहा जाता है जहां पर तुलसी का पौधा होता है और उसकी पूजा-सेवा की जाती है, उस घर में लक्ष्मीजी की सदैव कृपा बनी रहती है। शास्त्रों में माना गया है की रविवार, एकादशी और सूर्य व चंद्र ग्रहण के समय तुलसी को जल नहीं चढ़ाना चाहिए, इसके साथ ही इस दिन तुलसी के पत्तों को भी नहीं तोड़ना चाहिए।
तुलसीदल के बिना नहीं लगता है भोग
भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की कोई भी पूजा तुलसी दल के बिना पूरी नहीं मानी जाती है। वहीं हनुमान जी को भी भोग में तुलसी दल बहुत ही प्रिय होती है। पद्मपुराण के अनुसार कलियुग में तुलसी का पूजन, कीर्तन, ध्यान,रोपण और धारण करने से वह समस्त पाप को जलाती है और स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदान करती है। यदि मंजरी युक्त तुलसी पत्रों के द्वारा भगवान श्री विष्णु की पूजा की जाए तो अनंत पुन्यफलों की प्राप्ति होती है।
जहां पर तुलसी लगी हुई होती है वहीं भगवान श्री कृष्ण की समीपता है तथा वहीं ब्रह्मा और लक्ष्मीजी भी सम्पूर्ण देवताओं के साथ विराजमान होते हैं। तुलसीजी के निकट जो स्रोत्र -मंत्र आदि का जप किया जाता है,वह सब अनंत गुना फल देने वाला होता है। पूजा में कभी भी तुलसी के पत्ते और गंगाजल को बासी नहीं माना जाता। ये दोनों चीजें किसी भी परिस्थिति में बासी और अपवित्र नहीं मानी जाती। माना जाता है कि जिन घरों में रोजाना तुलसी की पूजा होती है वहां कभी यमदूत प्रवेश नहीं करते। इसके साथ ही घर की सुख-समृद्धि बनी रहती है। पुराणों में बताया गया है मृत्यु के समय गंगाजल संग तुलसी के पत्ते लेने से आत्मा को शान्ति और स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
सेहत को सुधारती है तुलसी-
तुलसी के पौधे में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल व एंटीबायोटिक गुण होते हैं जो संक्रमण से लड़ने में शरीर को सक्षम बनाते हैं। जहां तुलसी का पौधा लगा हुआ होता है वहां के आस-पास की हवा शुद्ध हो जाती है। तुलसी के नियमित सेवन से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह होता है और व्यक्ति की आयु बढ़ती है। संक्रामक रोगों से निपटने के लिए तुलसी बहुत कारगर उपाय है।