धर्मसीहोर

प्रसिद्ध मरीह माता मंदिर में जप-अनुष्ठान के साथ 108 दीपों को प्रज्जवलित कर की श्रीयंत्र की विशेष पूजा

प्रसिद्ध मरीह माता मंदिर में जप-अनुष्ठान के साथ 108 दीपों को प्रज्जवलित कर की श्रीयंत्र की विशेष पूजा

सीहोर। शहर के विश्राम घाट मां चौसट योगिनी मरीह माता मंदिर में जारी नौ दिवसीय दिव्य यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। चैत्र नवरात्रि के छठवें दिन श्रद्धालुओं ने ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश शर्मा, उमेश शर्मा और मंदिर के व्यवस्थापक गोविन्द मेवाड़ा आदि के मार्गदर्शन में जप-अनुष्ठान के साथ 108 दीपों को प्रज्जवलित कर मां कात्यायनी की आराधना की। इन दिनों शहर के प्रसिद्ध मरीह माता पर हर रोज बड़ी संख्या में नवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालु आ रहे है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए मंदिर के व्यवस्थापक श्री मेवाड़ा ने बताया कि मंदिर में आगामी 10 अपै्रल का भव्य रूप से भंडारे का आयोजन किया जाएगा और इस मौके पर विप्रजनों का सम्मान भी रखा गया है। पिछले दो सालों से कोरोना महामारी के कारण अधिक उत्साह के साथ नवरात्रि पर्व नहीं मनाया गया था, लेकिन कोरोना संक्रमण कम होने के कारण इस वर्ष पूरी आस्था से मां की आराधना की जा रही है और परम्परागत रूप से नवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है। गुरुवार को मंदिर में मां कात्यायनी की पूजा अर्चना की गई। पंडित श्री शर्मा ने बताया कि नवरात्रि के छठे दिन देवी के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है। इनकी उत्पत्ति या प्राकट्य के बारे में वामन और स्कंद पुराण में अलग-अलग बातें बताई गई हैं। मां कात्यायनी देवी दुर्गा का ही छठा रूप है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि देवी के कात्यायनी रूप की उत्पत्ति परमेश्वर के नैसर्गिक क्रोध से हुई थी। वहीं वामन पुराण के अनुसार सभी देवताओं ने अपनी ऊर्जा को बाहर निकालकर कात्यायन ऋषि के आश्रम में इक_ा किया और कात्यायन ऋषि ने उस शक्तिपूंज को एक देवी का रूप दिया। जो देवी पार्वती द्वारा दिए गए सिंह (शेर) पर विराजमान थी। कात्यायन ऋषि ने रूप दिया इसलिए वो दिन कात्यायनी कहलाईं और उन्होंने ही महिषासुर का वध किया।

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