धर्म

Diwali पर बेहद भव्य तरीके से सजाया जाता है महालक्ष्मी का ये मंदिर, क्या है इसकी खासियत

आने वाली सोमवार को यानि अक्टूबर मास की 23 तारीख को हर्ष व उल्लास का त्यौहार दिवाली मनाया जाएगा बता दें प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को देश के साथ-साथ अन्ये देशों में भी इस त्यौहार को बेहद धूम धाम से मनाया जाता है।

परंतु बात करें इस दौरान लक्ष्मी मंदिरों की तो दिवाली के दिन को एक तरफ जहां इनकी साज-सज्जा देखने लायक होती है तो वहीं इनके मंदिरों में भक्तों की इनकी एक झलक पाने की भीड़ का नजारा भी अद्भुत होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसर दिवाली के दिन देवी लक्षअमी की पूजा का अधिक विधान है। इससे न केवल मां की कृपा प्राप्त होती है बल्कि इनके आशीष स्वरूप भक्त के जीवन धन की कमी तो दूर होती है साथ ही साथ ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। चूंकि दिवाली का पावन पर्व अब बेहद करीब आ गया है इसलिए आज हम आपको देवी लक्ष्मी के ही एक बेहद खूबसूरत मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां न केवल किसी खास पर्व को ही नहीं बल्कि वर्ष के 365 मां के भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। तो आइए जानते हैं कौन सा है ये मंदिर-

बताया जाता है मां महालक्ष्मी के इस मंदिर में सालों भर भक्तों की भीड़ रहती है। भक्तजन यहां आकर करोड़ों रुपये के जेवर और नकदी माता के चरणों में चढ़ाते हैं। मुख्य रूप से बात करें दीपावली के अवसर की तो प्रचलित मान्यताओं के अनुसार मंदिर में धनतेरस से लेकर पांच दिन तक दीपोत्सव का आयोजन किया जाता है। जिस दौरान मंदिर को फूलों से नहीं बल्कि भक्तों द्वारा चढ़ाए गए गहनों और रुपयों से सजाया जाता है। इतना ही नहीं दीपोत्सव के दौरान मंदिर में कुबेर का दरबार लगाया जाता है, ऐसे में आने वाले भक्तों को प्रसाद स्वरूप गहने और रुपये-पैसे बांटे जाते हैं।

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि यानि दीपावली को मंदिर के कपाट 24 घंटे खुले रहते हैं। लोक मत के मुताबिक धनतेरस पर महिला भक्तों को यहां कुबेर की पोटली दी जाती है। परिसर में आने वाला कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटने दिया जाता प्रसाद के रूप में उन्हें कुछ न कुछ जरूर दिया जाता है। मंदिर के पुजारियों द्वारा बताया जाता है कि मंदिर में गहनों और रुपयों को चढ़ाने की परंपरा दशकों से चली आ रही है।

प्राचीन समय में यहां के राजा राज्य की समृद्धि के लिए मंदिर में धन आदि चढ़ाया करते थे जिसके बाद अब वर्तमान समय में भक्त यहां जेवर, पैसे वगैरह माता के चरणों में चढ़ाने हैं। प्रचलित मान्यताओं की मानें तो ऐसा करने से उनके घर व जीवन में मां लक्ष्मी की कृपा बरसरती है।

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