कब है गुरु प्रदोष? नोट करें पूजा विधि, मुहूर्त, इस व्रत से शत्रु होते हैं परास्त
हिंदू शास्त्र में देवों के देव महादेव की लीला अपरंपार है. इनकी लीला को आजतक कोई समझ नहीं पाया. इनसे संबंधित सभी चीजों भी कल्याणकारी मानी गई हैं.
अगर बात करें इनके व्रत की तो वह जातकों के लिए हमेशा से मनोकामना पूर्ण करने वाला रहा है. कुछ ही दिनों में महाशिवरात्रि आने वाली है. वहीं, इससे पहले भोलेनाथ का गुरु प्रदोष व्रत भी आ रहा है. लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि गुरु प्रदोष व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस दिन भोलेनाथ की विधिवत पूजा करने से मन की मुराद पूरी होती है.
संध्याकाल में होती है प्रदोष व्रत की पूजा
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. प्रदोष काल का मतलब संध्याकाल से है. बता दें, संध्या के समय जब दिन और रात मिलते हैं उस समय को प्रदोष काल कहा जाता है. आइये जानते हैं माघ महीने के गुरु प्रदोष व्रत की पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व के बारे में.
गुरु प्रदोष व्रत तिथि और पूजामुहूर्त
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हिंदू पंचांग के मुताबिक माघ महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि गुरुवार 02 फरवरी को सायंकाल 4 बजकर 25 मिनट से शुरू हो रही है. वहीं, इस तिथि का समापन शुक्रवार 3 फरवरी को शाम तकरीबन 7 बजे होगा. प्रदोष काल में पूजा करने के चलते 02 फरवरी को ही यह व्रत किया जाएगा. गुरुवार का दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा गया है. पूजा का शुभ समय 06 बजकर 02 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 37 मिनट तक रहेगा.
गुरु प्रदोष व्रत की पूजा विधि
गुरु प्रदोष व्रत के दिन प्रात: काल उठकर स्वच्छ जल से स्नान करें.
उसके बाद पूजा का संकल्प लें.
गुरुवार के दिन व्रत है इसलिए शिवजी के साथ-साथ जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु की भी पूजा करनी चाहिए.
प्रदोष की पूजा में शिव भगवान को उनकी प्रिय चीजें अर्पण करनी चाहिए.
हो सके तो इस दिन रुद्राभिषेक भी कर सकते हैं.
प्रदोष काल के समय पूजा में भगवान भोलेनाथ के मंत्रों का यथाशक्ति जाप करें.
गुरु प्रदोष व्रत का महत्व
गुरु प्रदोष व्रत करने से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है और जातकों को समाज में यश-सम्मान मिलता है. वहीं, संतान प्राप्ति का योग भी बनता है. इस दिन व्रत और पूजा करने से गायों के दान के बराबर फल की प्राप्ति होती है.