बायां की रेवा मछुआ समितियों का आडिट हुआ तो खुल गई पोल, सभी 73 समितियां भंग
- कलेक्टर के निर्देश के बाद हुई जांच में सही पाई गई गड़बड़ियां
सीहोर। कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर के निर्देश के बाद बायां की रेवा मछुआ सहकारी समितियों का आॅडिट कराया गया तो इनमें कई तरह की खामियां उजागर हुर्इं। इस समिति में वास्तविक लोगों को तो काम नहीं मिला, लेकिन कई बिचौलिए एवं रसूखदारों ने इन पर अपना आधिपत्य जमा लिया था। जब समिति की गड़बड़ियों को लेकर कलेक्टर द्वारा जांच के निर्देश दिए गए तो जांच में कई समितियों की धांधलियां भी उजागर हुर्इं। हालांकि अब जिलेभर की सभी 73 मछुआ समितियों के बोर्ड को भंग कर दिया गया है। इनके संचालन का जिम्मा नायब तहसीलदारों को सौंपा गया है।
जिलेभर में 73 मछुआ समितियों के माध्यम से विभिन्न तालाबों सहित अन्य जलस्त्रोतों में मछली पालन का कार्य किया जाता है। इसी तरह का कार्य रेवा मछुवा सहकारी समिति मर्यादित बड़ा बायां द्वारा भी किया जा रहा था। रेवा मछुआ सहकारी समिति का पंजीयन दिनांक 5-11-2007 को हुआ था और तभी से इस समिति द्वारा बायां स्थित तालाब में मछली पालन का कार्य किया जा रहा था। वर्ष-2007 से वर्ष 2021 तक इस समिति द्वारा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ही कार्य किया जा रहा था। इस समिति को काम जनपद पंचायत बुधनी द्वारा दिया गया था।
30 एकड़ में फैला है तालाब-
बुदनी विधानसभा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत बायां स्थित तालाब लगभग 30 एकड़ में फैला हुआ है। नियमानुसार इस तालाब में ग्राम पंचायत एवं जनपद पंचायत के अधीन आने वाला कोई व्यक्ति मछलीपालन का कार्य कर सकता है, लेकिन जनपद पंचायत द्वारा बुदनी नगर पंचायत के निवासी को यह कार्य दे दिया गया था। उसने फर्जी दस्तावेज लगाकर तालाब में मछलीपालन का कार्य लिया था।
कई वर्षों से चल रहा था फर्जीबाड़ा-
जनपद पंचायत बुदनी के अधीन आने वाली ग्राम पंचायत बायां में लगभग 13 वर्षों से यह फर्जीबाड़ा चल रहा था। कई बार इसकोे लेकर शिकायतें की गईं, लेकिन जिम्मेदारोें द्वारा इसमें जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई। यही कारण रहा कि इसका लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिला। बायां में रहने वाले कई मांझी परिवार हैं, जिन्होंने तालाब में मछलीपालन के लिए काम लेने का प्रयास कई बार किया, लेकिन उन्हें काम नहीं दिया गया।
हर वर्ष होती है नीलामी प्रक्रिया-
लाखों रुपए की कमाई करने वाले बायां के तालाब की हर वर्ष नीलामी होती है। इस तालाब को लगातार कई वर्षों से एक ही व्यक्ति कोे लीज पर दिया जा रहा था। इससे साफ है कि विभागीय अधिकारियोें की उससे लंबी सांठ-गांठ थी। बताया जा रहा है कि लखनलाल मांझी पिता कोदूलाल मांझी द्वारा ग्राम पंचायत बायां के किसी लखनलाल के नाम से दस्तावेज लगाकर तालाब को लीज पर लिया जा रहा था, जबकि अन्य जरूरतमंदों को इसे मिलना चाहिए। जनपद पंचायत बुदनी ने 3 मई 2020 को समाचार पत्र के माध्यम से विज्ञप्ति जारी की थी। इसके बाद इस संबंध में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी निकाली गई, जिसमें सामने आया कि फर्जी दस्तावेज लगाकर तालाब कोे लीज पर लिया जा रहा है।
पंचायत से भी नहीं ली गई अनुमति-
बायां स्थित तालाब ग्राम पंचायत के अधिकार क्षेत्र में आता है। नियमानुसार लीज पर देने से पहले ग्राम पंचायत की अनुमति भी लेनी होती है, लेकिन मत्स्य पालन विभाग द्वारा अनुमति नहीं ली गई।
इनका कहना है-
पुरानी समितियों में अनियमितताएं पार्इ गर्इं थी। उनको भंग कर दिया गया है और अब नई समितियों का गठन किया जाएगा।
– चंद्रमोहन ठाकुर, कलेक्टर, सीहोर
मछुआ समितियों को लेकर शिकायतें मिल रही थीं। इसके बाद कलेक्टर द्वारा जांच के निर्देश दिए गए थे। मछुआ समितियों का आडिट कराया गया तो कई तरह की खामियां सामने आई। अब चुनाव कराकर वास्तविक मछुवारों को ही काम दिया जाएगा। इसमें कई अपात्र, बिचौलिए और रसूखदार लोग भी घुस गए हैं।
– भूपेंद्र प्रताप सिंह, सहकारिता उपायुक्त, सीहोर
सीहोर जिले में संचालित सभी 73 मछुआ समितियों के बोर्ड भंग कर दिए गए हैं। अब इनके चुनाव कराकर वास्तविक मछुआरों को काम दिया जाएगा।
– भारत सिंह मीना, सहायक संचालक, मत्स्योद्योग, जिला सीहोर