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शासन प्रशासन के सहयोग से बाढ़ में हमारी समस्या हुई कम

सुकमा
हमे इतनी भीषण बाढ़ की कल्पना भी नहीं थी। देखते देखते पानी का स्तर बढ़ता गया और घर के भीतर भी जलभराव होने लगा। हमने घर पर रखे सामान को पानी से बचाने की कवायद शुरू कर दी। लेकिन पानी तेज गति से भीतर चढ़ रहा था। जैसे तैसे हमने जरूरी सामान को एकत्रित किया और घरों से बाहर निकले। प्रशासन द्वारा हमें सुरक्षित राहत शिविर में लाया गया। हमे आर्थिक क्षति तो पहुंची है, लेकिन हमें इस बात की खुशी है की हम परिवार के सभी सदस्य सकुशल है। यह कहना है कोंटा बाढ़ में प्रभावित श्रीमती पी.रामलक्ष्मी और आर.संतोषी का। जिनका परिवार पोटाकेबिन राहत शिविर में शरण लिए हुए था, उनके घरों से पानी उतरने के पश्चात वे अपने घर को लौट चुके हैं।

गोदावरी नदी के जलस्तर वृद्धि के कारण बैकवाटर से कोंटा नगर वासियों को लगभग 3 दशक बाद भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा। बाढ़ में लगभग 12 वार्ड बुरी तरह प्रभावित हुए। राष्ट्रीय राजमार्ग दोनो ओर से बाधित रहा, जिससे कोंटा टापू में तब्दील हो गया। इस मुश्किल में शासन और प्रशासन पूरे समय बाढ़ प्रभावितों के राहत में लगा रहा। उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा ने जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन को बाढ़ प्रभावित लोगों को हर संभव मदद पहुंचाने के निर्देश दिए। जिला पंचायत अध्यक्ष श्री हरीश कवासी अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ राहत कार्य में अपना सहयोग दिया। वहीं कलेक्टर श्री हरिस. एस के मार्गदर्शन में जिला प्रशासन सहित पुलिस प्रशासन, नगर सेनानी की टीम ने राहत कार्य को अंजाम दिया।

राहत कार्य के दौरान बहुत से बाढ़ पीड़ित परिवारों को उनके घरों से सुरक्षित स्थान या राहत केंद्रों पर लाया गया। इन्हीं बाढ़ प्रभावितों में से वार्ड 13 निवासी श्रीमती पी.रामलक्ष्मी एवं आर.संतोषी ने बताया की किस प्रकार प्रशासन की प्रयासों से उनकी समस्या कम हुई। श्रीमती पी.राजलक्ष्मी ने बताया कि उनका परिवार पोटाकेबिन राहत केंद्र पर शुक्रवार को पहुंचे थे। यहां उन्हे प्रशासन द्वारा दोनों वक्त गरम भोजन और जरूरी व्यवस्थाएं प्रदान की गई।

श्रीमती आर.संतोषी ने बताया कि शुरूआत के कुछ दिन भोजन सहित कुछ अव्यवस्थाएं जरूर थी, पर अधिकारियों ने उसे भी सुधार दिया। और गुणवत्ता भोजन के साथ ही सुबह बच्चों के लिए बिस्कुट, नाश्ता भी प्रदान किया गया। मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए मेडिकल सुविधा भी राहत शिविर में ही मिली।  मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी भी उपलब्ध कराई गई। बाढ़ के कारण पूरे क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति बाधित थी, पर उसे भी दो दिन के भीतर बहाल कर दिया गया। उन्होंने बताया की राहत केंद्र में अधिकारी समय समय पर आकर शरणार्थियों से संसाधनों के बारे में जानकारी लेते, किसी चीज की समस्या होने पर त्वरित निराकरण करते, इससे उन्हे घर जैसा माहौल मिला। प्रशासन के प्रयासों से उन्हे बाढ़ आपदा में सहायता मिली, अब क्षति का सर्वेक्षण कार्य भी शुरू हो गया है, जिससे जल्द ही उन्हें क्षतिपूर्ति राशि भी मिल जायेगी।

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