राजनीतिक

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल कुमार चौधरी ने मनीष सिसोदिया को पद से तुरंत हटाने की मांग की

नई दिल्ली ।  मनीष सिसोदिया को सीबीआई द्वारा गिरफ्तार करने पर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल कुमार चौधरी ने मंत्री पद से तुरंत हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि आखिर क्या कारण है कि पिछले आठ महीनों से जेल में बंद सत्येन्द्र जैन मंत्री पद पर बने हुए हैं। क्या अरविंद केजरीवाल के पास पूर्ण बहुमत होने के बावजूद मंत्री बनाने योग्य सक्षम विधायक नही हैं या उन्हें दूसरे विधायकों पर विश्वास नहीं है? 
अनिल चौधरी ने कहा है कि, दिल्ली विधानसभा में 70 में से 63 विधायक आम आदमी पार्टी के हैं फिर भी जेल में बैठे सत्येन्द्र जैन और गिरफ्तार मनीष सिसोदिया को मंत्री पद पर बरकरार रखा गया है। आखिर दिल्ली सरकार चार मंत्रियों के भरोसे कैसे चल रही है।
अनिल चौधरी ने कहा कि यह भी आश्चर्यजनक है कि पिछले नौ वर्षों से अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं परंतु उनके पास कोई मंत्रालय नहीं है। क्या वे इसलिए मंत्री पद नहीं लेते क्योंकि दिल्ली सरकार में हो रहे भ्रष्टाचार के मास्टर माइंड होने के बावजूद अपने घोटालों से अलग होने को साबित कर सकें? 
उन्होंने कहा कि यह पूरी दिल्ली जानती है कि शराब घोटाले के मास्टर माइंड अरविंद केजरीवाल हैं जिसके लिए उनके पीए से सीबीआई ने पूछताछ भी की है। उन्होंने कहा कि आखिर क्या कारण है कि सीबीआई  केजरीवाल की शराब घोटाले में संलिप्तता के सबूत होने के बावजूद उनसे पूछताछ नहीं कर रही है। इसमें भाजपा और केजरीवाल की कोई साजिश तो नहीं?
अनिल चौधरी ने कहा कि शराब घोटाले में सीबीआई द्वारा जिन 15 लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई उनमें प्रमुख मनीष सिसोदिया हैं, जिनके साथ अधिकारी और शराब कारोबारी भी शामिल हैं। आम आदमी पार्टी के कट्टर ईमानदार नेता एक-एक करके जेल में पहुंच रहे हैं क्योंकि इन्होंने भ्रष्टाचार करके केजरीवाल की इच्छाओं की पूर्ति की है।
दूसरी तरफ अनिल चौधरी के बयान के विपरीत उन्हीं की पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा है कि, मोदी सरकार चुनिंदा विपक्षी नेताओं को निशाना बनाकर, उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रही है।
जयराम रमेश ने ट्वीट किया है कि, कांग्रेस का हमेशा से मानना रहा है कि ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग जैसी संस्थाएं मोदी सरकार के तहत राजनीतिक प्रतिशोध और उत्पीड़न का साधन बन गई हैं। इन संस्थानों ने अपनी व्यावसायिकता खो दी है। चुनिंदा विपक्षी नेताओं को निशाना बनाकर, उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

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