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तरबूज की फसल बह गया पानी में, किसान आंसू बहा रहे..

धमतरी
छत्तीसगढ़ में नदी के कछारी इलाके में आज भी मौसमी खेती की जाती है इसके लिए उन किसानो के पास खुद की जमीन नहीं होती वे इसके लिए लीज पर सीमित समय के लिए लेते हैं,जिसमें तरबूज,ककड़ी,खरबूज व सब्जी लगाते हैं। इससे अच्छा खासा मुनाफा भी वे कमा लेते हैं। लेकिन कुछ लोगों को नजर लग गई इस इलाके की खेती को।  महानदी में जमीन लीज पर लेकर तरबूज की खेती करने वाले 20 गांव में दो सौ एकड़ तरबूज की खेती बर्बाद हो गई। इससे 100 से अधिक किसानों को 2 करोड़ का नुकसान हुआ है। किसानों का कहना है रेत माफियाओं के कारण ही बर्बाद हो गए। अवैध रेत निकालने के लिए डैम और एनीकट से लगातार साजिश कर महानदी में पानी छुड़वाने से तरबूज और सब्जी बाड़ी को जानबूझकर नुकसान पहुंचाया गया है ताकि मनमानी पूर्वक रेत निकाल सके। इस मामले में जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है आरोप गलत है जब ऊपर जल स्तर बढ़ता है तो पानी महानदी में छोड़ा जाता है। अभी बारिश होने के कारण ज्यादा पानी छोडऩा पड़ा है।

इधर लाखों रुपए कर्ज लेकर खेती कर रहे ऐसे किसान अब कर्ज में डूब गए हैं। महानदी में लीज पर सालों से तरबूज की खेती कर रहे किसानों ने कहा कि वे लोग सालों से महानदी में सब्जी, तरबूज, ककड़ी व खरबूज की खेती करते आ रहे हैं। पहले कभी भी इस तरह का नुकसान उठाना नहीं पड़ा. रेत माफियाओं को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से नदी में पानी छोड़कर किसानों को जानबूझकर नुकसान पहुंचाया गया है, क्योंकि इतनी बारिश नहीं हुई कि नदी में पानी छोडऩा पड़े।
महानदी में जगह-जगह एनीकट और डैम बन जाने से अधिक मात्रा में पानी स्टोरेज होता है और महानदी में चैन माउंटेन से 24 घंटे अवैध रेत उत्खनन से घाटों की रेत तेजी से खत्म हो रहा है। इससे माफियाओं की नजर महानदी में खेती करने वाले किसानों की लीज वाले बाड़ी पर है, जहां भरपूर रेत है इसलिए तरबूज की खेती को जानबूझकर नुकसान पहुंचाने पानी छुड़वाया।

इन गांवों में तरबूज की खेती हुई बर्बाद–महानदी में लीज पर लेकर ग्राम डोंगरीडीह, परसापाली,डोंगरा, तिल्दा, लाटा, दर्रा, चाटीपाली, मोहतरा, चिचपोल, दतरेंगी, दतान, बम्हनी, मोहान, अमेठी।

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