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पंडित प्रदीप मिश्रा की उपस्थिति में पुत्र राघव महाराज की पहली कथा, हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु

- मात्र 15 साल की उम्र में कथा करना किया प्रारंभ

सीहोर। प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के पुत्र राघव महाराज की पहली कथा कुबेरेश्वर धाम पर शुरू हुई। 15 वर्षीय राघव महाराज की कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त कुबेरेश्वर धाम पहुंचे। इस दौरान पंडित प्रदीप मिश्रा भी वहां पर उपस्थित रहे। कथा श्रवण कराते हुए राघव महाराज ने व्यास पीठ से कहा कि भक्ति के बिना जीवन अधूरा है। लाखों योनियों में सबसे सुंदर शरीर मनुष्य का है, भगवान के आशीर्वाद के बिना मनुष्य जीवन प्राप्त नहीं होता। भगवान शिव का संपूर्ण चरित्र परोपकार की प्रेरणा देता है। भगवान शिव जैसा दयालु करुणा के सागर कोई और देवता नहीं है। इस मौके पर व्यास पीठ का पूजन करने पहुंचे पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि कई लोगों ने हमसे कहा कि आप अपने पुत्र को कथा करने के लिए बाहर भेज दो, लेकिन 30 अपै्रल इतिहास में दर्ज हो गया है। हमने भी 1999 में कथा की थी। उन्होंने कहा कि राघव महाराज को आप सभी का स्नेह और आशीर्वाद की अपेक्षा है। कथा के पहले दिन सुबह से ही कुबेरेश्वर धाम पर विठलेस सेवा समिति की ओर से प्रबंधक समीर शुक्ला, पंडित विनय मिश्रा, आशीष वर्मा, यश अग्रवाल, मनोज दीक्षित मामा, आकाश शर्मा, रविन्द्र नायक, सौभाग्य मिश्रा, बंटी परिहार आदि ने यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भोजन प्रसादी सहित ठंडाई का वितरण किया।
शिव महापुराण मानव जाति को सुख-समृद्धि व आंनद देने वाली-
कथा के पहले दिन पंडित राघव मिश्रा ने कहा कि शिव महापुराण मानव जाति को सुख-समृद्धि व आंनद देने वाली है, क्योंकि भगवान शिव कल्याण एवं सुख के मूल स्त्रोत हैं। भगवान भोले नाथ की कथा में गोता लगाने से मानव को प्रभु की प्राप्ति होती है, लेकिन भगवान शिव की महिमा सुनने व उनमें उतरने में अंतर होता है। सुनना तो सहज है, लेकिन इसमें उतरने की कला हमें केवल एक संत ही सिखा सकता हैं। शिव महापुराण एक विलक्षण व दिव्यता से परिपूर्ण ग्रंथ है। शिव महापुराण की कथा मानव जाति को सुख समृद्धि व आनंद देने वाली है। क्योंकि भगवान भूतों के अधीश्वर साक्षात परमात्मा हैं। जो समस्त जीवों को आत्म ज्ञान देकर ईश्वर से जुडऩे की कला सिखाते हैं।
पहले दिन चंचुला का शिव धाम प्रसंग-
कथा के पहले दिन पूरे जोश और उत्साह के साथ श्रद्धालुओं के मध्य पहुंचे पंडित राघव मिश्रा का जोरदार स्वागत किया गया। श्रद्धालुओं की नजर उनके मासूम चेहरे पर थी, लेकिन छोटे महाराज ने आते ही अपने भजन-कीर्तन और अपने पिता से मिले संस्कार से सभी का मनमोह लिया। उन्होंने कहा कि चंचुला नाम की स्त्री को जब संत का संग मिला वह शिव धाम की अनुगामिनी बनी। एक घड़ी के सत्संग की तुलना स्वर्ग की समस्त संपदा से की गई है। भगवान शिव भी सत्संग का महत्व मां पार्वती को बताते हुए कहते हैं कि उसकी विद्या, धन, बल, भाग्य सब कुछ निरर्थक है, जिसे जीवन में संत की प्राप्ति नहीं हुई। परंतु वास्तव में सत्संग कहते किसे हैं। सत्संग दो शब्दों के जोड़ से मिलकर बना यह शब्द हमें सत्य यानि परमात्मा और संग अर्थात् मिलन की ओर इंगित करता है। परमात्मा से मिलन के लिए संत एक मध्यस्थ है, इसलिए हमें जीवन में पूर्ण संत की खोज में अग्रसर होना चाहिए, जो हमारा मिलाप परमात्मा से करवा दे। विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि कथा के पहले ही दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने से हाल खचाखच भर गया है, बाहर बैठने आदि की व्यवस्था की गई। कथा के दौरान अग्रवाल महिला मंडल सहित अन्य ने पंडित राघव मिश्रा का स्वागत किया।

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