सीहोर। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली का त्योहार मनाया जाता है। 7 मार्च को प्रदोष काल में होलिका दहन होना है। जो भद्रा रहित होगा। स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषचार्य ज्योतिष पदम भूषण डॉ पंडित गणेश शर्मा के अनुसार इस बार 19 वर्षों के बाद श्रावण मास में अधिकमास आने के कारण महाशिवरात्रि और होली 10 से 11 दिन पहले आएगी। जबकि रक्षा बंधन, गणेश चतुर्थी, दशहरा और दीवाली में करीब 19 दिन की देरी होगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन होलिका दहन होता है और दूसरे दिन धुलैंडी मनाई जाती है। अष्टमी से यह त्योहार प्रारंभ हो जाता है।
होली के शुभ संयोग-
ज्योतिष पदम भूषण डॉ पंडित गणेश शर्मा ने बताया की भारतीय पंचांग और ज्योतिष के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा यानी होली के अगले दिन से चैत्र शुदी प्रतिपदा की शुरुआत होती है और इसी दिन से नववर्ष का भी आरंभ माना जाता है। इसलिए होली पर्व नवसंवत और नववर्ष के आरंभ का प्रतीक है।
धृति : 7 मार्च के दिन रात्रि 9:14 तक रहेगा। इसके बाद शूल योग।
– होलिका दहन का शुभ मुहूर्त :-06:31 से 08:58 तक रहेगा।
शुभ मुहूर्त-
गोधूलि मुहूर्त शाम 5:51 से 6:15 तक।
अमृत काल मुहूर्त शाम 7:22 से 9:7 तक।
सायाह्न संध्या मुहूर्त शाम 6:3 से 7:16 तक।
निशिता मुहूर्त शाम 11:44 से 12:33 तक।
होली का दहन की कथा-
फाग यानी होली है। इसे फागुन भी कहते हैं। होलिका दहन से जुड़ी भक्त प्रह्लाद की कथा भी है। हिंदू धार्मिक, पौराणिक ग्रंथों में ध्रुव, उपमन्यु, आरुणी, श्रवण कुमार के साथ ही भक्त प्रह्लाद जैसे महान बालकों की कथाएं हैं। भक्त प्रह्लाद हिरण्यकश्यप राक्षस का बेटा था। हिरण्यकश्यप ने तपस्या कर भगवान ब्रह्मा से वरदान मांगा था। भगवान से उसे यह वरदान मिला कि किसी भी अस्त्र-शस्त्र से नहीं मारे जाओगे, न रात में, न दिन में, न धरती में, न आकाश में… यह वरदान मिलने के बाद हिरण्यकश्यप को लगा कि वह अमर हो चुका है। उसने अपने छोटे भाई का बदला लेने के लिए देवताओं को परेशान किया। हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रह्लाद को अध्य्यन के लिए गुरुओं के पास भी भेजा, लेकिन राक्षस का पुत्र होने के बाद भी प्रह्लाद भगवान की भक्ति में मगन रहता था।
गुरुओं को प्रहलाद को दूसरी शिक्षा देने का आदेश, बालक प्रहलाद की हरि भक्ति की परीक्षा लेने के लिए हिरण्यकश्यप ने कुछ सवाल पूछे। प्रह्लाद ने हिरण्यकश्यप को बताया कि सबसे श्रेष्ठ भगवान हरि हैं, इसलिए वो उनकी ही पूजा आराधना करेगा। प्रहलाद ने हिरण्यकश्यप को हरि का ज्ञान करवाया, लेकिन वरदान के मद में चूर हिरण्यकश्यप ने अपने ही पुत्र को मारने की ठान ली।
भक्त प्रहलाद को मृत्यु देने का आदेश-
हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को लाख समझाया, लेकिन प्रह्लाद ने भगवान की भक्ति नहीं छोड़ी। इसके बाद हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को यातनाएं देनी शुरु कर दी। हिरण्यकश्यप ने अपने सेवकों को प्रहलाद को मारने का आदेश दे दिया। प्रह्लाद पर तीर, भाले, अस्त्र शस्त्र से वार किए गए, लेकिन प्रह्लाद के शरीर पर कोई असर नहीं पड़ा। हिरण्यकश्यप ने परेशान होकर प्रह्लाद को हाथी के पांव के नीचे कुचलने का आदेश दिया, लेकिन हाथियों ने भी प्रह्लाद को नहीं मारा, शेर, विष और हथियार का भी असर नहीं हुआ। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका भी प्रह्लाद को लेकर जलती चिता पर बैठी।होलिका को अग्नि में ना जलने का वरदान मिला था, लेकिन उसका वरदान भी काम ना आया। उस अग्नि में हिरण्यकश्यप की बहन होलिका भस्म हो गई।इसी दिन से होलिका दहन की परंपरा शुरू हुई।
डॉ पंडित गणेश शर्मास्व
र्ण पदक प्राप्त ज्योतिषचार्य
9229112381