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कुबेरेश्वरधाम पर बनाई जाएगी 251 कमरें की धर्मशाला, पंडित प्रदीप मिश्रा ने किया भूमि पूजन

सीहोर। जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में आगामी दिनों में धाम पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ठहरने की व्यवस्था को लेकर भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने मंदिर परिसर के पीछे करोड़ों रुपए की लागत से 251 कमरों की धर्मशाला का भूमि पूजन किया। इस मौके पर पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि धर्मशाला में कमरों के अलावा सामूहिक भोजन के लिए हॉल आदि का निर्माण होगा। एक कमरे में ठहरने की व्यवस्था होगी। सुबह नौ बजे भगवान शिव की अर्चना के पश्चात यहां पर पंडितों की मौजूदगी में पंडित श्री मिश्रा, विठलेश सेवा समिति के महेन्द्र शर्मा, पंडित विनय मिश्रा और समीर शुक्ला आदि ने भूमि पूजन किया।
इस संबंध में जानकारी देते हुए विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही इन श्रद्धालुओं की ठहरने की व्यवस्था करना है, इसलिए गुरुदेव के आदेश के बाद निर्माण कार्य भी शुरू हो गया है। सबसे पहली जरूरत तो प्रतिदिन यहां आने वाले हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं को आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने की है। इससे आने वाले समय में होने वाले भव्य कार्यक्रमों में आने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी। इन दिनों सुबह भोजन प्रसादी के बाद यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को ठंडाई का वितरण किया जा रहा है। विठलेश सेवा समिति के सदस्य और कार्यकर्ताओं ने यहां पर आने वाले सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं को दूध, ठंडाई, मेवा मिष्ठान का प्रसाद वितरण किया।
भगवान परशुराम के मार्ग पर चलने की जरूरत-
धर्म चर्चा के दौरान भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि भगवान परशुराम के बताए मार्गों पर चलने की जरूरत है। आज सत्य एवं सेवा के मार्ग पर चलने की जरूरत है, ताकि भगवान परशुराम के मार्ग को अपनाया जा सके। धर्म के मार्ग पर चलना थोड़ा कठिन जरूर है, पर जो भी इस मार्ग पर चल पड़ता है, उसको असीम शांति की अनुभूति होती है, मन विषय वासना से मुक्त होकर ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाता है। धर्म व्यक्ति को सदैव अच्छे कार्यों को करने के लिए प्रेरित करता है, आराधना और स्वाध्याय की ओर लोगों को ले जाता है, जबकि धर्म से पापों के प्रति आसक्ति होती है ऐसे में दिन प्रतिदिन पाप कर्मों में रत रहने से मनुष्य विनाश की ओर अग्रसित हो जाता है।

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