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विश्व बंधुत्व का विश्वास बने मोदी

विष्णु दत्त शर्मा

दशकों बाद भारत दुनिया में पुनः प्रासंगिक देश बनकर उभरा है। नये भारत के नेतृत्व में विश्व आगे बढ़ने का आतुर है। हमारे नेता द्वारा बताये गये ‘वन अर्थ,वन फैमिली,वन फ्यूचर’के रोडमैप पर सारा विश्व चलने को तैयार है। जी-20 की सफलता और सार्थकता ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि आज का भारत सारे विश्व के लिए पूरी तरह प्रासंगिक देश के तौर पर अग्रिम पंक्ति में खड़ा है। वसुधैव कुटुम्बकम का भारतीय मंत्र अब दुनिया को रास आ रहा है। वैश्विक समस्याओं के समाधान का यही सूत्र भी है, जिससे सारी दुनिया आपसी मेलभाव को बढ़ा सकती है।

इस भाव कोवैश्विक विस्तार देने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भगीरथ भूमिका है। विगत एक दशक में उन्होंने अपनी विशेष कार्यप्रणाली से विश्व का ध्यान भारत की ओर न केवल खींचा है बल्कि उनको भारतीय विचारों को सहर्ष आत्मसात करने के लिए उन्मुख किया है। उनके प्रयास से सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत की प्रतिष्ठा विश्व बंधुत्व के अगुवा के रूप में बढ़ी है। हजारों साल पहले वसुधैव कुटुम्बकम का शंखनाद करने वालेभारत ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय पटल पर अभूतपूर्व भूमिका निभाने का खांका खींच दिया है। अपनीअद्भुत विश्वसनीय नेतृत्व क्षमता के बल पर मोदी जी ने भारत की सही वैश्विक भूमिका के लिए सारी दुनिया को भी तैयार किया है। उनकी मैत्रीभाव शैली का प्रभाव है कि आज उनकी किसी भी पहल को नकारना हर देश के लिए मुश्किल है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री के तौर पर विगत एक दशक में शायद ही कोई देश बचा हो, जिसने नरेंद्र मोदी जी को अपने सर्वोच्च सम्मान से विभूषित न किया हो। यदि कहा जाय कि आज की दुनिया में मोदी जहां खड़े होते हैं, वहां विश्वास की नींव खड़ी हो जाती है, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। राजनयिक क्षेत्र मेंविश्वास की कमी से गुजर रही दुनिया भारत के नरेंद्र मोदी में वह सामर्थ्य देख रही है, जो अविश्वास की खाई को कम कर सकता है और विश्व बंधुत्व को दिशा दे सकता है।

जी-20 का उदाहरण ही लें तो अब तक यह बैठक जहां भी हुई थी, वहां मात्र 2 शहरों तक ही सीमित रही थी लेकिन 10 महीने में देश के 60 शहरों में 220 सफल बैंठकों के जरिये भारत ने विश्व को अपने सामर्थ्य का दर्शन करा दिया है।इस मामले में एक बड़ी लकीर खींचते हुए भारत ने 125 देशों के एक लाख से अधिक प्रतिनिधियों से संवाद किया, उनकी मेजबानी की और उनको भारत के गौरवशाली सामर्थ्य से परिचित कराया।समापन बैठक में 54 देशों के संघअफ्रीकी यूनियन की सदस्यता के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह आम सहमति बनाई, वह अतुलनीय नेतृत्व कौशल का बेजोड़ उदाहरण बना है। जी-20 को जी-21 बनते देर नहीं लगी और भारत ने अपनी अध्यक्षता में इतिहास रच दिया। यह भारतीय परंपरा है कि बंधुत्व भाव से सबको साथ लेकर चला जाय। मोदी जी के नेतृत्व में जो घोषणापत्र जारी हुआ उसके लिए बनी सौ फीसदी सहमति ने भी भारत की भूमिका गढ़ी है।घोषणापत्र का एक भी बिंदु विवादित नहीं हुआ और वैश्विक सर्वसम्मति का नया अध्याय लिख दिया गया। इसलिए समापन भाषण का वह अंश अत्यंत महत्वपूर्ण है जिसमें मोदी जी ने कहा कि युद्ध ने विश्वास की कमी को और गहरा किया है। हम सब मिलकर ग्लोबल ट्रस्ट डेफिसिट को एक विश्वास और एक भरोसे में बदलें। ये समय सबको साथ मिलकर चलने का है।

दरअसल, जी-20 के जरिये मोदी जी ने विश्व को सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास का मंत्र देकर भारतीय विश्व बंधुत्व की आधारशिला रखीहै, जिसको कोई भी देश नकार नहीं सकता। विगत दशकों में खाड़ी युद्ध, वियतनाम, अफगानिस्तान और यूक्रेन जैसे युद्धों ने विश्व में अशांति की जो लहर पैदा की, उसका तोड़ मोदी जी के इसी मंत्र में निहित है।जी-20 की सफलता के बाद दुनिया के अनेक विशेषज्ञों के लेखों का सार भी यही है कि मोदी ने विश्व को भातृत्व भाव पर चलने का मार्ग प्रशस्त किया, इसी में विश्व कल्याण का लक्ष्य पूरा होगा। पूर्व ब्रिटिश वित्त मंत्री और अर्थशास्त्री जिम ओ नील ने लिखा कि भारत की अध्यक्षता नेजी-20 को वैश्विक चुनौतियों के प्रभावी समाधान का उचित मंच बनाया है और भारी चुनौतियों के बावजूद सर्वसम्मति से घोषणापत्र जारी करने से इसकी प्रासंगिकता को फिर से स्थापित करने में भारत कामयाब रहा, जबकि बार-बार इसे लेकर सवाल उठाया गया था। नील ने भारत की सराहना करते हुए लिखा कि जी-20 में अफ्रीकी संघ को शामिल करने के लिए भी पीएम मोदी को एक विजेता के तौर पर देखा जाएगा। उनके एक सूझबूझ भरे कदम ने इसे जी-21 बना दिया। यह सफलता मोदी को स्पष्ट कूटनीतिक जीत दिलाती है, जिससे उनकी छवि ग्लोबल साउथ के चैंपियन के रूप में उभरी है।

यह नेतृत्व कौशल का ही साहस है कि वैश्विक मंच पर प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की वह तस्वीर प्रस्तुत की, जो इसकी वास्तविक पहचान से जुड़ा है। उन्होंने सारी दुनिया को भारत की सनातन पहचान और उसके मूल प्रतिमानों से भी रूबरू कराया। भारत मंडपम में भारत की वह भव्य-दिव्य छवि उभरी, जो भारत को भारत बनाती है। स्वाधीनता के अमृत काल में गुलामी के सभी चिह्नों को मिटाने के अपने संकल्प को मोदी जी ने सारे संसार के सामने चरितार्थ कर दिया। नालंदा, कोणार्क आदि के उन चित्रों को दुनिया को दिखाया, जिससे भारत की विश्वगुरु की छवि परिलक्षित होती है।

निःसंदेह हमारा देश 2014 के बाद मोदी जी के नेतृत्व के साथ नयी भूमिका में आ गया है। चाहे वह पड़ोसी देशों के विवाद हों, विश्व आपदाएँ हों, सामरिक चुनौतियां हों या आर्थिक मोर्चा, सभी मामलों में भारत का अब निजी नजरिया और निर्णय होता है। यह नजरिया हमारे यशस्वी नेता के संकल्प से सिद्ध हुआ है। एक दशक में अब नया भारत हिमालय की तरह खड़ा है, जहां आतंकवाद को कुचलने हेतु भारतीय सेना अब पाकिस्तान में घुसकर स्ट्राइक करती है। अपने सैनिक को शत्रु के मांद से बिना शर्त तत्काल वापस लाती है। नये भारत ने विश्व शक्तियों की आंख में आंख डालकर कश्मीर में धारा 370 को विदा कर दिया। श्रीराम मंदिर जैसे मसलों का हल निकाल कर दुनिया को अपनी अंदरुनी ताकत का एहसास करा दिया। सदी के सबसे बड़े मानवीय संकट (कोविड) में अनेक देशों को वैक्सीन देकर वसुधैव कुटुम्बकम की भावना और विश्व गुरु की भूमिका को चरितार्थ करने वाले हमारे नेता में दुनिया ने विश्वास किया है। प्रधानमंत्री मोदी देश को 2047 तक हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने हेतु प्रतिबद्ध हैंतो हर गरीब की जिंदगी बदलने का उनका ऐतिहासिक प्रयास भी परिणाम दे रहे हैं।मोदी जी ने राष्ट्र को नयी संसद सौंपकर सच्ची स्वाधीनता की नींव रखी है। नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत का सांस्कृतिक पुनर्जागरण भी हो रहा है और अब भारत अपने स्व पर खड़े होकर इंडिया से भारत की ओर अग्रसर हुआ है।

-लेखक भाजपा मध्यप्रदेश के अध्यक्ष एवं खजुराहो लोकसभा से सांसद हैं

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