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कुबेरेश्वरधाम पर सावन के दूसरे सोमवार को बड़ी संख्या में पहुंचेंगे श्रद्धालु

- चार साल के बच्चे से लेकर 90 साल के बुजुर्ग कर रहे सावन में भगवान का अभिषेक

सीहोर। देश और विदेश में करोड़ों शिव भक्तों की आस्था के केन्द्र कुबेरेश्वर धाम पर सावन मास में शिव भक्ति चरम पर है। प्रतिदिन हजारों की संख्या में कांवड़ लेकर जाने वालों में चार साल से लेकर 90 साल के बुजुर्ग एक लोट जल हर समस्या का हल और बम-बम भोल के जयकारे के साथ सीवन नदी के तट से कुबेरेश्वरधाम तक पहुंच रहे हैं। रविवार को करीब एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं को धाम पर भोजन प्रसादी का वितरण किया गया। सोमवार को सावन के दूसरे सोमवार होने के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे। मध्यप्रदेश से भी कई श्रद्धालु पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर की पदयात्रा करते हुए धाम पर आ रहे हैं।
सावन मास वह समय जब श्रद्धा की धारा और शिवभक्ति की शक्ति मिलकर एक पवित्र यात्रा का रूप ले लेती है। यह केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आत्मा से शिव तक पहुंचने की एक जीवंत साधना है। इसका एक उदाहरण शहर के रेलवे स्टेशन, सीवन नदी के तट से लेकर कुबेरेश्वरधाम तक दिखाई दे रहा है। अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की प्रेरणा और भगवान शिव की भक्ति से लबरेज शिव भक्त पूरे आनंद के साथ नंगे पैर आस्था और उत्साह के साथ कठिन डगर पर चल रहे हैं। कई कांवड़ वाले तो दंडवत करते हुए जा रहे हैं तो कोई कंधे पर कांवड़ लेकर चल रहे हैं।
सेवा में लगे पंडाल में पहुंचकर उत्साहवर्धन किया-
रविवार को सुबह दस बजे सीवन नदी से सोया चौपाल तक आस्था के साथ कांवड़ यात्रियों की सेवारत पंडालों में अचानक पहुंचे पंडित प्रदीप मिश्रा ने सेवा कार्य करने वालों के कार्य की मुक्तकंठ तारीफ करते हुए कहा कि मानवता की सेवा करने से बेहतर कोई दूसरा कार्य नहीं है। सेवा हृदय और आत्मा को पवित्र करती है। सेवा से ज्ञान प्राप्त होता है और यही मनुष्य के जीवन का असली लक्ष्य है। कांवड़ लेकर जाने वालों के लिए आधा दर्जन से अधिक सेवा शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इसमें दिन-रात सेवादार श्रद्धालुओं को खिचड़ी, चाय, नाश्ते, भोजन, बिस्कुट, फल, फलहार और पानी की बोतल और पाउच देकर रवाना कर रहे हैं।
सीवन नदी घाट पर लगा भक्तों का महाकुंभ-
शहर में प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं, जिसके कारण शहर सहित आस-पास चहल-पहल नजर आ रही है। दूर दराज के क्षेत्रों के श्रद्धालु कांवड़ियों की भीड़ सीवन घाट पर देखने को मिल रही है। कांवड़ियों द्वारा सुबह से ही कांवड़ उठाने का क्रम शुरू हो जाता है। घाट पर ही कांवड़ सजाने के साथ कांवड़िए अपने ईष्ट के लिए विधि-विधान पूर्वक पूजा-पाठ कर रहे हैं। इसके बाद भगवान भोलेनाथ का नाम लेकर घाट से कांवड़ उठा रहे हैं और बम-बम भोले के जयकारे के साथ भगवान की भक्ति में लीन होकर अपने गंतव्य को रवाना हो रहे हैं। करीब 11 किलोमीटर दूर पहुंचकर बाबा कुबेरेश्वरधाम पर पूरी आस्था और विश्वास के साथ दिव्य अनुष्ठान करते हैं।
पहुंचेगा महिलाओं का जत्था-
इधर पूरे देश के आस्थावान श्रद्धालु अपनी क्षमता के अनुसार कांवड़ लेकर आ रहे हैं, कई ऐसे भक्त हैं जो सैकड़ों किलोमीटर नंगे पैर चलते हुए बाबा के धाम पर पहुंच रहे हैं। इछावर में हरदा सनातनी महिलाएं छिपानेर से पैदल चलते हुए सोमवार को धाम पर पहुंचेगी, वहीं धाम पर तीन महिलाएं मुरैना से पैदल चलकर आई हैं।

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