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धर्म के नाम पर अब नहीं बांट सकते,जनता समझ गई है – भूपेश

रायपुर
धर्म के नाम पर बांटने का काम भाजपा का है,उत्तर प्रदेश में पिछली बार भी यही किया था, इस समय भी यही कर रहे हैं। इसके अलावा उनके पास कोई फॉमूर्ला नहीं है। इस विभाजन से उन्हें वोट मिल जा रहा है, सत्ता मिल गई, लेकिन हिंदुओं को सिवाय भय के क्या मिला?मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, यदि भाजपा हिंदुओं की बात करती है तो हिंदुओं को मिला क्या है? केवल भय के। उनको डरा-डराकर वोट ले रहे हैं। आपको खतरा है, आपको खतरा है। लेकिन उन्हें मिला कुछ नहीं। मिला किसको – भाजपा को। छत्तीसगढ़ की जनता ने इन्हें नकार दिया है। जिस तरह साम्प्रदायिकता का जहर बोने की कोशिश की, धर्मांतरण का जहर बोने की कोशिश की। लेकिन नगरीय निकाय चुनाव में ये लोग पूरी तरह पराजित हुए। देश की जनता इनकी चालों को समझ चुकी है। जनता धीरे-धीरे सब समझती जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा,मैं समझता हूं कि आज मुख्य मुद्दा महंगाई है, बेरोजगारी है, किसान हैं, नौजवान हैं, महिलाओं की सुरक्षा का मामला है। ये बहुत सारी बातें हैं जो आम जनता से जुड़ी हुई हैं। मुख्यमंत्री सोमवार को देहरादून जाने से पहले रायपुर हवाई अड्डे पर मीडिया से बातचीत कर रहे थे। कोरबा में केवल हिंदुओं को ही काम देने और हिंदू राष्ट्र बनाने के संकल्प से जुड़े मामले पर मुख्यमंत्री ने कहा, यही जहर बोने का काम है। आज आप एक धर्म से दूसरे धर्म की बात कर रहे हैं। कल एक जाति से दूसरी जाति की बात करेंगे। उसके बाद एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले का, एक शहर से दूसरे शहर का करेंगे। अपने स्वार्थ के लिए कितना बांटेंगे आप।

मुख्यमंत्री ने कहा, भाजपा और आरएसएस के लोग पहले कहते हैं कि मुसलमान को पाकिस्तान भेज दो। उसके बाद कहते हैं कि अखंड भारत में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और पड़ोसी जितने देश हैं उनको मिला लो। फिर भेज क्यों रहे हो? इस जहर से किसका नुकसान और किसका फायदा होगा। नुकसान आम जनता का होगा। आप दोस्त बदल सकते हैं, पड़ोसी नहीं बदल सकते। आज जहर बोएंगे तो वे जिंदगी भर लड़ते रहेंगे।

भूपेश बघेल ने कहा, नफरत की आग में केवल घर जलते हैं। घर बर्बाद होते हैं। ये देश बुद्ध का है, महावीर का है, गुरुनानक देव का है, तुलसी का है, सूर का है, गांधी का है। इसमें प्रेम-भाईचारा का संदेश सदियों से दिया गया है। वसुधैव कुटुंबकम की बात आप करते हैं, यह विचार बहुत व्यापक हैं। लेकिन आपके व्यवहार बहुत क्षुद्र हैं-संकुचित हैं। यह देश और समाज के लिए बेहद घातक हैं।

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