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छूट जाही अंगना अटारी… छूटही बाबू के पिठइया गीत अब यादें बनकर रह जाएंगी

रायपुर
नवंबर को 2007 को बहन उषा मंगेशकर के कहने पर स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर ने छत्तीसगढ़ी फिल्म भखला के लिए एक गीत गाया था और गीत के बोल थे छूट जाही अंगना अटारी… छूटही बाबू के पिठइया अब यह गाना बस यादें बनकर हमारे बीच रह जाएंगी। क्योंकि आज स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर का निधन हो गया है और इससे हिन्दी फिल्म जगत के साथ ही छत्तीसगढ़ के कलाकारों में शोक की लहर दौड़ गई है। क्योंकि 41 साल पहले 2 फरवरी 1980 को स्वर कोकिला लता मंगेशकर पहली बार राजनांदगांव के खैरागढ़  आई थी और उन्हें इस दौरान इंदिरा गांधी कला संगीत विश्वविद्यालय ने डी लिट की उपाधि से नवाजा था। छत्तीसगढ़ी गायक सुनील सोनी ने उनकी याद में एक फोटो शेयर करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।

लता मंगेशकर छत्तीसगढ़ की धरती पर 2 फरवरी 1980 आई थीं। इस बीच उनके चाहने वाले लता की एक झलक पाने के लिए रायपुर से खैरागढ़ पहुंच गए थे। मौका था इंदिरा गांधी कला संगीत विश्वविद्यालय ने द्वारा लता मंगेशकर को डी लिट की उपाधि देना। जैसे ही लता मंगेशकर के निधन की खबर आई पूरे फिल्मी जगत के साथ ही राजनीतिक दलों में भी शोक की लहर दौड़ गई। छत्तीसगढ़ के जाने-माने गायक सुनील सोनी ने उनकी याद में एक फोटो शेयर करते हुए बताया कि भखला फिल्म में मैं मुख्य गायक था। उस समय में फिल्म के गीत छूट जाही अंगना अटारी… छूटही बाबू के पिठइया के गीत को गाने के लिए लता जी बमुश्किल से गाने के लिए मानी थीं। फिल्म के गीतकार मदन शर्मा, कल्याण शर्मा, मनु नायक को लता मंगेशकर को मनाने के लिए मुंबई के चार बार चक्कर लगाने पड़े थे। तब लता जी की बहन उषा मंगेशकर के कहने पर गीत गाने के लिए वे राजी हुई थी। इस दौरान उन्होंने नवंबर को 2007 में उनके स्टूडियो में एक दिन बिताया। यहां से गाने की पूरी डमी तैयार की गई। स्वरलता स्टूडियो मुंबई से लता जी ने आवाज दी और यह इतिहास में दर्ज हो गया। गीतकार मदन को लता मंगेशकर ने फीस की तय रकम दो लाख में से 50 हजार रुपये मिठाई खाने के लिए लौटाते हुए कहा था कि ये मेरा पहला छत्तीसगढ़ी गीत है तो सबको मेरी तरफ से मिठाई खिलाना।

सुनील सोनी बताते है कि स्वरलता स्टूडियो में लता मंगेशकर ने कहा कि बेटा तुम अच्छे गाते हुए हो। एक दिन तुमको भी प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में गायक के रूप में जानेंगे। उन्होंने बताया कि वे सरल स्वभाव की थी। हर किसी से प्यार से बात करती थी। छत्तीसगढ़ के बारे में वे जानने के काफी उत्सुक रहती थीं।

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