राज्य

तीन दशक से अभेद्य ‘नरेश’ के दु्र्ग में इस बार मु्द्दों से रसूख की जंग, क्‍या हैं समीकरण

कानपुर

हरदोई सदर सीट पर आज तक कुल 18 चुनाव-उपचुनाव में से 11 बार नरेश अग्रवाल परिवार ने जीत हासिल की। खुद नरेश अग्रवाल सात बार, उनके पिता एक और पुत्र नितिन तीन बार सदर सीट जीत चुके हैं। पहली बार भाजपा के टिकट पर लड़ रहे नितिन को कांटे की टक्कर मिल सकती है।

पिछले चुनाव में भाजपा की प्रचंड लहर थी लेकिन हरदोई में नरेश अग्रवाल के परिवार का रसूख बरकरार रहा। करीब पांच हजार वोटों से उनके बेटे नितिन अग्रवाल ने सदर सीट जीत ली। 1989 से इस सीट पर अग्रवाल परिवार ही काबिज है। करीब-करीब हर प्रमुख दल की राजनीति करते हुए अब यह परिवार भाजपा के रंग में रंग चुका है।

अग्रवाल परिवार का राजनीतिक इतिहास 1974 से शुरू होता है। उस साल कांग्रेस ने श्रीशचंद्र अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया। 1980 में श्रीशचंद्र अग्रवाल के बेटे नरेश अग्रवाल को कांग्रेस का टिकट मिला। राजनीति के इस नए खिलाड़ी ने पहले ही चुनाव में जीत का स्वाद चख लिया। 1989 में कांग्रेस ने फिर उन्हें टिकट नहीं दिया तो नरेश निर्दलीय चुनाव लड़े। 36,402 वोट पाए और कांग्रेस की उमा त्रिपाठी 10 हजार से हार गईं। उस चुनाव के बाद नरेश की राजनीतिक जीत हरदोई में सहज होती रही। हरदोई सदर सीट प्रदेश की वीआईपी सीटों में शामिल हो गई।

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