विदेश

चीफ जस्टिस राणा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में महाभियोग प्रस्ताव

काठमांडो
नेपाल में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चोलेंद्र शमशेर जेबी राणा के खिलाफ रविवार को महाभियोग लाया गया। सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल नेपाली कांग्रेस, माओवादी समेत अन्य दलों के 98 सांसदों ने उनके खिलाफ प्रस्ताव संसद सचिवालय में पेश किया। खास बात यह है कि चीफ जस्टिस राणा के फैसले के चलते ही देश में शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व में सरकार बनी।

इस बीच जस्टिस दीपक कुमार कर्की को कार्यवाहक चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया है। कानून, न्याय एवं संसदीय कार्यमंत्री दिलेंद्र प्रसाद बडू, सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस की प्रमुख सचेतक पुष्पा भुषाल, माओवादी के प्रमुख सचेतक देव गुरूंग समेत करीब 98 सांसदों ने महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं।

कानून मंत्री के नेतृत्व में ये सांसद प्रस्ताव लेकर संसद सचिवालय पहुंचे। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने सदन के अध्यक्ष अग्नि प्रसाद सपकोता से मुलाकात की।

कानून मंत्री ने कहा कि यह महाभियोग प्रस्ताव इसलिए लाया गया है क्योंकि अदालत सही ढंग से काम नहीं कर रही है और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप हैं। प्रस्ताव में चीफ जस्टिस के खिलाफ 21 आरोप लगाए गए हैं। इसमें लोकतंत्र को सुरक्षित रखने, मानवाधिकारों, कानून के नियमों, न्यायिक स्वतंत्रता व निष्पक्षता को बनाए रखने में नाकामी के आरोप हैं।
 
चीफ जस्टिस प्रस्ताव आते ही स्वत: निलंबित
जानकारी के अनुसार, चीफ जस्टिस पर सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक माहौल बनाए रखने में विफल रहने और नैतिकता का पालन नहीं करने जैसे कई अन्य आरोप भी लगाए गए हैं। 2 जनवरी 2019 को चीफ जस्टिस बनने वाले राणा प्रस्ताव आते ही पद से स्वत: निलंबित हो गए हैं।

इस्तीफे की मांग को लेकर हो रहा है प्रदर्शन
सुप्रीम कोर्ट के अन्य न्यायाधीश और वकील सुप्रीम कोर्ट के गेट पर पिछले कई दिनों से धरना दे रहे हैं और चीफ जस्टिस पर कार्यालय आने पर पाबंदी और इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी उन पर कैबिनेट में राजनीतिक हिस्सेदारी मांगने और न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के आरोप लगा रहे हैं।

देउबा सरकार में रिश्तेदार को मंत्री बनवाने का भी आरोप
नेपाल बार एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस पर देउबा सरकार में अपने एक रिश्तेदार को मंत्री बनवाने का भी आरोप लगाया था। इस विवाद के तूल पकड़ने पर उक्त मंत्री को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।  

दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पास होने पर पद से हटा दिया जाएगा
यदि महाभियोग प्रस्ताव प्रतिनिधि सभा या संसद में मौजूद सदस्यों की कुल संख्या के कम से कम दो तिहाई बहुमत से पास हो जाता है तो चीफ जस्टिस को उनके पद से हटा दिया जाएगा। इससे पहले 2017 में तत्कालीन चीफ जस्टिस सुशीला कर्की के खिलाफ भी महाभियोग प्रस्ताव पेश किया गया था।

सीजे राणा का इस्तीफा देने से इनकार
इस बीच सीजे राणा का कहना है कि वह अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे और वह संसद में लाए गए महाभियोग प्रस्ताव का सामना करने के तैयार हैं।

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