विदेश

16 फरवरी को यूक्रेन पर हमला कर सकता है रूस: राष्ट्रपति व्लादिमीर

कीव
रूस और यूक्रेन के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है, हालांकि रूस बार-बार बातचीत का हल निकालने की वकालत कर रहा है लेकिन यूक्रेन का कहना है कि बिना किसी चेतावनी के रुस उस पर कभी भी हमला कर सकता है। सोमवार को तो यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने अपने फेसबुक पोस्ट में ये दावा कर दिया है कि 16 फरवरी को रूस की ओर से यूक्रेन पर हमला किया जा सकता है तो वहीं अमेरिका ने भी बिना किसी चेतावनी के रूस की ओर से हमला किए जाने की आशंका जताई है।

 राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने कहा- 16 फरवरी को यूक्रेन पर हमला कर सकता है रूस आपको बता दें कि राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि 'रूस की ओर से यूक्रेन पर हमले की तारीख 16 फरवरी है इसलिए हम बुधवार को 'डे ऑफ यूनिटी' आयोजित करेंगे।' मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस वक्त यूक्रेन के बार्डर पर 1 लाख 30 हजार से ज्यादा सैनिक तैनात हो गए हैं तो वहीं रूस ने भी बार्डर पर टैंक, भारी हथियार और मिसाइलें तैनात कर दी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक रूस ने यूक्रेन को तीन तरफ से घेर लिया है। गौर करने वाली बात ये है कि अमेरिका भी यूक्रेन की राष्ट्रपति की फेसबुक पोस्ट से सहमत है और उसका कहना है कि रूस बुधवार को यूक्रेन पर धावा बोल सकता है।

जबकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लगातार युद्ध की खबरों को नकार रहे हैं, उन्होंने दावा किया है कि 'ये केवल अटकलें हैं।' इस बारे में रूसी रक्षा मंत्रालय क्रेमलिन ने एक बयान भी जारी किया था , जिसमें उन्होंने कहा है कुछ बातों की सिर्फ अटकलें लगाई जा रही हैं। उनकी ओर से पुतिन को रूसी सुरक्षा मांगों पर पश्चिम देशों के साथ बातचीत करने का सुझाव दिया गया था। अमेरिका और यूरोपीय संघ ने चिंता जाहिर की बता दें कि दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति पर अमेरिका और यूरोपीय संघ ने चिंता जाहिर की है। नाटों ने भी अपने सहयोगियों से कीव को सैन्य समर्थन देने की भी अपील की है तो वहीं अमेरिका ने अपने नागरिकों को जल्द से जल्द यूक्रेन छोड़ने को कहा है।

PM जस्टिन ने ट्रक मार्च के बाद उठाया ये कदम क्या है विवाद?
दरअसल ये विवाद 9 साल पहले से है। साल 2013 में विक्टर यानुकोविच यूक्रेन के राष्ट्रपति थे, जिन्हें रूस का समर्थन मिला हुआ था, जिसके चलते यूक्रेन में उनका विरोध शुरू हो गया। अमेरिका -ब्रिटेन समर्थित लोगों ने उनके खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया जिसके चलते विक्टर यानुकोविच को देश को छोड़कर भागना पड़ा, इसके बाद रूस ने यूक्रेन के दक्षिण में स्थित 'क्राइमिया' पर कब्जा कर लिया, तब से ही रूस और यूक्रेन के बीच तनाव चल रहा है तो वहीं दूसरी ओर यूक्रेन एक तरफ नाटों का सदस्य बनना चाहता है वहीं रूस का कहना है कि वह किसी भी कीमत पर यूक्रेन को नाटो का सदस्य नहीं बनने देगा, फिलहाल दोनों देशों के बीच स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है, जिस पर विश्व के सभी देशों की निगाहें लगी हुई हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button