रेहटीसीहोर

चंदा को मिला जीवनदान, विजयासन हास्पिटल ने किया निःशुल्क इलाज

क्रेशर पर काम करने वाले सुरेश की 10 वर्षीय बेटी है चंदा

सीहोर। क्रेशर मशीन पर मजदूरी करने वालेे सुरेश की 10 वर्षीय बेटी चंदा को नया जीवन मिला है। चंदा को जिस स्थिति मेें अस्पताल लाया गया था, यदि थोड़ी देर और हो जाती तोे शायद चंदा हमारे बीच नहीं रहती, लेकिन रेहटी स्थिति विजयासन हास्पिटल के संचालक एवं डॉक्टर एके नायर एवं उनकी टीम ने चंदा के इलाज में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। डॉक्टर थे तोे उन्होंने इलाज तो किया, लेकिन इससे भी बड़ा काम उन्होंने चंदा का इलाज पूरी तरह से निःशुल्क करके किया।
दरअसल चंदा के शरीर में खून बेहद कम मात्रा में था। उसकी अचानक से तबीयत बिगड़ी तोे उसके पिता उसे रेहटी लेकर आए। उन्हें रेहटी में प्रवेश के साथ ही विजयासन अस्पताल दिखाई दिया तोे उन्होंने बेटी को यहीं पर भर्ती करवा दिया। चंदा को देखकर डॉ. एके नायर भांप गए कि उसकी स्थिति बेहद नाजुक है औैर उन्होंने तुरंत उसे आईसीयू में भर्ती करा दिया एवं ईलाज शुरू किया। ताबड़तोड़ तरीके से डॉक्टर ने अपने ही स्टॉफ को 2000 रूपए देकर एक यूनिट ब्लड बुलवाया और तुरंत चंदा को ब्लड लगाया। शरीर में खून की कमी के कारण चंदा के फेफड़ों मेें पानी भरा गया था एवं उसके लीवर में भी सूजन थीं। चंदा के इलाज में 42 हजार से अधिक खर्च होे गया, लेकिन चंदा के पिता जो कि एक मजदूर थे उनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे। जब चंदा के पिता ने सारी स्थितियां बताईं तो विजयासन अस्पताल के संचालक डॉ. एके नायर ने इलाज के पैसे नहीं लिए, बल्कि उन्होंने इलाज भी निःशुल्क किया एवं उसकी जांचें भी पूरी तरह से निःशुल्क कीं। बाद में चंदा कोे एक यूनिट ब्लड और लगाया गया। करीब 5 दिन भर्ती रहने के बाद चंदा अब फिर से बेेहतर स्थिति में हो गईं।
डॉ. एके नायर करते हैं परोपकार के कार्य-
विजयासन अस्पताल के संचालक डॉ. एके नायर समय-समय पर कई सामाजिक एवं परोपकार के कार्य करतेे रहतेे हैं। उनका मानना है कि मनुष्य को अपने जीवन में ऐसे कार्योें को करतेे रहना चाहिए। वे स्वामी विवेकानंद से काफी प्रभावित हैं औैर अपने पेशे के साथ ही वे कई सामाजिक सरोकारों के कार्यों में भी बढ़ चढ़कर भागीदारी निभातेे हैं।

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