बीसी सखी पंकज ने किया 8 करोड़ का ऑनलाइन कारोबार
जांजगीर-चांपा
सफलता यूं ही नहीं मिलती बल्कि उसके पीछे कड़ी मेहनत, परिश्रम होता है, तभी तो सफलता की सीढ़ी को चढ़ा जा सकता है। ऐसी ही सफलता की सीढ़ी को चढ़ा है डिजिटल पैमेंट भुगतान करने वाली श्रीमती पंकजनी ढीमर ने, जिन्होंने अब तक 8 करोड़ रूपए का ट्रांजेक्शन किया है। वे गांव-गांव में डिजिटल भुगतान करने वाली दीदी के नाम से मशहूर है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) बिहान से जुड़ी खटोला ग्राम पंचायत श्रीराम महिला स्व सहायता समूह की श्रीमती पंकजनी ढीमर गांव-गांव में बैंकिंग की सुविधा मुहैया करा रही है। उन्हें एनआरएलएम योजना के माध्यम से लेपटाप एवं 33 हजार रूपए प्रिंटर एवं अन्य उपकरण खरीदने के लिये रूपए दिया गया। इसके अलावा जनपद पंचायत के माध्यम से छग राज्य ग्रामीण बैंक कियोस्क शाखा खटौला में खोलने के लिये चयनित किया गया। जिसके माध्यम वे महात्मा गांधी नरेगा की मजदूरी का भुगतान आॅन द स्पाट कर रही है। श्रमिकों को निर्माण कार्य के दौरान ही उनके खातों में जमा राशि जरूरत पड?े पर उनके द्वारा दी जाती है। तो वहीं दूसरी ओर समाज कल्याण विभाग की पेंशन योजनाओं का लाभ घर-घर जाकर पहुंचा रही है, जिससे बुजुर्ग, दिव्यांग लाभार्थियों को आसानी हो रही है। इसके अलावा वे आम नागरिकों, ग्रामीणों को सब्सिडी, जनधन खाता से निकासी, भुगतान, टीवी रिचार्ज करने से लेकर मोबाइल रिचार्ज, बिजली बिल का भुगतान एवं अन्य बैंकिंग सुविधाएं दे रही है। उनके द्वारा समय-समय पर प्रशासनिक दफ्तरों में भी विशेष केंप लगाकर बैंकिंग की सुविधा दी जाती है।
बीसी सखी श्रीमती पंकजनी ढीमर का कहना है कि शुरूआत में ग्रामीण डरते थे कि कहीं कोई धोखा न हो, लेकिन धीरे-धीरे लोगों में विश्वास जागने लगा, उनके पैसे उन तक पहुंचते और समय पर उनका काम हो जाता तो वे उनसे ही बैंकिंग का काम कराने लगे। इसी के चलते उनकी बैंकिंग प्रणाली को देखते हुए जिला पंचायत सीईओ गजेन्द्र सिंह ठाकुर के द्वारा भी सराहना की गई है। इसके अलावा छग राज्य ग्रामीण बैंक अकलतरा के द्वारा उन्हें उत्कृष्ट कार्य करने पर प्रमाण पत्र दिया गया। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने ग्रामीणों के घर पहुंचकर बैंकिंग की सुविधा मुहैया कराई। विकासखण्ड अकलतरा के ग्राम पंचायत खटोला, परसाहीबाना, चंगोरी, अमलीपाली, सोनाईडीह, कोटगढ़, बरगवां आदि गांवों में बैंकिंग देने का काम कर रही है। बैंकिंग के काम करते हुए जो आय होती है, उससे अपने परिवार एवं बच्चों की शिक्षा पर खर्च करती हैं। विगत दो साल में उनके द्वारा 8 करोड़ रूपए की राशि की निकासी एवं जमा की गई है। उनके द्वारा है गरीब, आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को आगे लाने के लिए उन्हें समय-समय पर ग्राम संगठन के माध्यम से प्रशिक्षण भी देती हैं।