धर्म

Hindu Nav Samvatsar 2022: नव संवत्सर होगा नल, राजा होंगे शनि, मंत्री बृहस्पति

नई दिल्ली
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा शनिवार दिनांक 2 अप्रैल 2022 से हिंदू नव संवत्सर प्रारंभ होगा। जिसका नाम नल रहेगा। इस नव संवत्सर में विक्रम संवत 2079 और शालिवाहन शक 1944 होंगे। चूंकिइससे पूर्व राक्षस वर्ष का प्रारंभ संवत्सरारंभ के पूर्व ही हो चुका था इसलिए संकल्पादि में इसका प्रयोग चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 2 अप्रैल से किया जाएगा। शिव विशंति में इस राक्षस नामक संवत्सर की गणना नौवें क्रम पर होती है। चूंकिनव संवत्सर का प्रारंभ शनिवार को हो रहा है इसलिए इसके राजा शनि होंगे। अन्य मंत्रिमंडल मंत्री बृहस्पति, सस्येश सूर्य, मेधेश बुध, दुर्गेश बुध, धनेश शनि, रसेश मंगल, धान्येश शुक्र, निरसेश शनि और फलेश मंगल होंगे।

नव संवत्सर का फल
इस बार ग्रह मंडल में चार स्थान सौम्य ग्रहों को प्राप्त हुए हैं। छह स्थान क्रूर ग्रहों को प्राप्त हुए हैं। वर्ष का फल मध्यम रहेगा। प्रजा में अशांति का वातावरण बनेगा। राक्षस नाम संवत्सर में फसलों की हानि, रोग से कष्ट, महंगाई, भय का वातावरण, पीड़ा तथा जनहानि होती है। लोग राक्षसी क्रिया में लगे रहें। वृष्टि व सस्य मध्यम होंगे।

राजा शनि
    दुर्भिक्ष मरकं रोगान करोति पवनं तथा ।
    शनैश्चराब्दो दोषाश्च विग्रहांश्चैव भूभुजम् ।।
    शनि के वर्ष में उपद्रव, युद्ध, दंगे, मारकाट का वातावरण तैयार होता है। अनेक देशों में परस्पर तनाव व टकराव होता है। जनहानि व दुर्भिक्ष होते हैं। तूफान से जनधन हानि, कम वर्षा या वर्षा के साथ तेज हवाएं चलती हैं। पेयजल से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है। राजनैतिक मतभेद सामान्य रहता है। न्याय तथा कार्यप्रणाली में सकारात्मक परिवर्तन होगा। मौद्रिक नीति में परिवर्तन होगा। महंगाई बढ़ेगी। उड़द, कोयला, लकड़ी, लोहा, कपड़ा, स्टील महंगे होंगे।

मंत्री बृहस्पति
 
    विविध दान्ययुता खलु मेदिनि प्रचुरतोयधनामुदिता भवेत ।
    नृपतयो जन लालन तत्परा: सुरगुरौ खलु मंत्रिपदान्विते ।।
    देवगुरु बृहस्पति के मंत्री होने से सभी प्रकार के अनाजों की अच्छी पैदावार, खूब वर्षा, शासन की लोकभाव नीतियों के कारण सर्वत्र प्रसन्नता रहती है। किंतु राजा शनि होने से उपरोक्त फलों में न्यूनता समझनी चाहिए।
    मेधेश बुध- मेधेश बुध होने से श्रेष्ठ वर्षा, खाद्यान्न उत्पादन सामान्य, धार्मिक क्रियाओं का आयोजन तथा सामान्यत: सुख का वातावरण रहता है एवं गेहूं की अच्छाी खेती होती है।
    सस्येश सूर्य- गेहूं का बाजार स्थिर रहेगा। लोगों में अनावश्यक अन्न भंडारण की प्रवृत्ति आएगी। शासकों में तनाव होगा। महंगाई में वृद्धि होगी।
 

    दुर्गेश बुध- प्रजा मध्यम स्तर के भौतिक सुख भोगेगी। धनिकों व व्यापारियों में भयमुक्त वातावरण रहेगा। शत्रु सेना द्वारा देश की सीमाओं पर आक्रमण नहीं होगा।
    धनेश शनि- अर्थ बाजारों में धन की कमी, प्रजा पर रोग और शोक की मार, व्यापारियों को हानि तथा किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा।
    रसेश मंगल- जनपदों में पानी की कमी से त्रास, राजा द्वारा प्रजा को पीड़ा, रस की कमी रहे।
    निरसेश शनि- शनि निरसेश होने से सीसा, पीतल, लोहा, ऊनी वस्त्र आदि के बाजार तेज रहेंगे।
    फलेश मंगल- फूलों, फलों की खेती अच्छी होगी। लोगों में भयमुक्त वातावरण रहेगा।
    धान्येश शुक्र- सभी उपद्रव शांत रहेंगे। दूध व घी के उत्पादन में कमी आएगी। इससे दुग्ध पदार्थों के मूल्यों में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहेगी।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Zabavna igra s sestavljanko: najlažje v 11 sekundah najdejo le Netradicionalna uganka v jesenskem listju: Kaj je narobe na sliki? Morate V petih sekundah: Med stotinami igrač poiščite pravo račko 2025/08/22: S Super IQ test: najdite 3 razlike na sliki violinista Vsi vidijo bizona le redki, Na sliki