विदेश

वैज्ञानिकों ने खोजी अब तक की सबसे दूर स्थित बिग बैंग के बाद बनी आकाशगंगा

वाशिंगटन
खगोलविदों ने ब्रह्मांड में सबसे दूर स्थित तारा खोजने के बाद अब तक की सबसे दूर स्थित आकाशगंगा (गैलेक्सी) का पता लगाया है। उन्होंने इसे एचडी1 नाम दिया है। यह पृथ्वी से 13.5 अरब प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। खगोलविदों का कहना है कि इसका निर्माण बिग बैंग के बाद हुआ है।

खगोलविदों के मुताबिक, ब्रह्मांड की शुरुआती दौर का एक चमकता हुआ लाल रंग का पिंड खोजा गया है। कई बार इसकी रोशनी बहुत दूर से आती हैं और इतनी दूर से आते-आते धुंधली होने के साथ रास्ते में पड़ने वाले भारी पिंडों की वजह से इसमें विकृति भी आ जाती है। इसलिए बहुत दूर स्थित इन स्रोतों या पिंडों के बारे में जानकारी हासिल करना बहुत मुश्किल हो जाता है।

‘द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार शोधकर्ता अभी तक यह सुनिश्चित नहीं कर पाए हैं कि क्या यह गैलेक्सी स्टारबर्स्ट गैलेक्सी है या फिर तारों के साथ उड़ती सी सकारात्मक गैलेक्सी है। वैज्ञानिक यह भी निर्धारित नहीं कर पा रहे हैं कि क्या यह क्वेजार है, जिसके केंद्र में एक विशालकाय सुपरमैसिव ब्लैकहोल सक्रिय रहता है।

चुनौतीपूर्ण है जानकारी जुटाना
हार्वर्ड एंड स्मिथसनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्सी के खगोल भौतिकविद फैबियो पैकूकई का कहना है कि इतनी दूर स्थित स्रोत की प्रकृति के सवालों का जवाब देना चुनौतीपूर्ण काम हो सकता है। यहां तक कि सबसे चमकीले खगोलीय पिंड क्वेजार की रोशनी भी इतने लंबे सफर के बाद इतनी धुंधली हो जाती है कि हमारे शक्तिशाली टेलिस्कोप को भी इन रोशनी को पकड़ने में बहुत मुश्किल आती है।

रंग और आकार के अलावा कुछ भी पता नहीं
पैकूकई के मुताबिक, यह समुद्र में दूर घने कोहरे के बीच खड़े एक ऐसे जहाज का पता लगाने जैसा ही है, जिसके झंडे के कुछ रंग और आकार तो दिख सकते हैं, लेकिन उसे पूरी तरह से नहीं देखा जा सकता है। शुरुआती ब्रह्मांड के पिंडों की पड़ताल करना बहुत ही ज्यादा मुश्किल काम है।

हर साल बन रहे 100 से ज्यादा तारे
शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस गैलेक्सी में हर साल 100 से ज्यादा तारे बन रहे हैं जो शुरुआती गैलेक्सी में बनने वाले तारों से 10 गुना ज्यादा संख्या में हैं। इसके अलावा एचडी1 से आने वाली रोशनी भ्रमित करने वाली है। इसका रंग शुरुआत में लाल रंग का था, जो कि  धीरे-धीरे गहरे काले रंग में बदल रहा है।

नासा को 1980 में शनि के पास मिला था यान
नासा को साल 1980 में शनि ग्रह के पास एक अंतरिक्ष यान दिखाई दिया था। इसकी लंबाई लगभग 3200 किमी और चौड़ाई 800 किमी थी। नासा के पूर्व इंजीनियर बॉब डीन ने इसका दावा किया है। हालांकि, इस परग्रही यान के मूल का आज तक पता नहीं चल पाया है। यह कुछ-कुछ एलियन के आकार जैसा दिखता था। उन्होंने कहा कि नासा को दशकों से यह ज्ञात है कि पृथ्वी के बाहर भी दशकों से एक जीवन है। उन्होंने एक वीडियो जारी कर बताया, इस तरह की कई खोजों में अरबों वर्ष का समय लगा है। हमें खोज के दौरान वहां ऐसे तारे मिलते हैं जिनमें संभवत: ग्रह होते हैं, वे ग्रह हमारे तारे से तीन गुना पुराने हो सकते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button