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अमेरिका में सरोगेसी ने बढ़ाई लोगों की मुश्किलें

अमेरिका में भागदौड़ भरी जिंदगी के चलते तेजी से सरोगेसी के मामले बढ़ रहे हैं। मॉडर्न टेक्नोलॉजी के साथ ही यहां सरोगेसी एक बड़े कारोबार के रूप में विकसित हो चुका है। अमेरिका के सभी राज्यों में इसको लेकर अलग-अलग कानून हैं। सरोगेसी को लेकर एक केंद्रीय कानून बनाने की मांग उठ रही है, क्योंकि ज्यादातर राज्यों में पेड सरोगेसी का नियम है, जिसे आसानी से तोड़ा जा रहा है। लिहाजा, अमेरिका की कुछ महिलाओं को सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगानी पड़ रही है।

पेरेंट्स सरोगेसी के करार से मुकर रहे
ऐसा ही एक मामला कैलिफोर्निया निवासी मेलिसा कुक का है। एक व्यक्ति ने उन्हें एक निजी संस्था के लिए सरोगेट बनने के लिए तैयार किया। कुछ दिनों बाद वह करार से मुकर गया और बच्चों को पालने में असमर्थता जताने लगा। इसके चलते मेलिसा ने संबंधित संस्था और व्यक्ति पर केस दर्ज करा दिया। मेलिसा अब तीन बच्चों की मां है, लेकिन उनके बच्चों को अपनाने को कोई तैयार नहीं है।

अमेरिका में 14 साल में सरोगेसी से 18,400 बच्चे पैदा हुए
सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (उऊउ) का कहना है कि 1999 और 2013 के बीच 18,400 बच्चे सरोगेसी से पैदा हुए थे। सरोगेट बनने के लिए महिलाओं को औसतन 22 से 45 लाख रुपए का भुगतान किया गया। हालांकि, एजेंट और वकील सहित अन्य खर्च के साथ 83 से 110 करोड़ रुपए खर्च करना होता है। न्यूजर्सी, वॉशिंगटन और न्यूयॉर्क में पहले तो सरोगेसी के कारोबार पर रोक थी, लेकिन बाद में इसे कानूनन वैध कर दिया गया।

एडवांस मेडिकल टेक्नोलॉजी के कारण बढ़ रही सरोगेसी
यूक्रेन सरोगेसी के लिए प्रसिद्ध था, पर रूस से युद्ध के बाद अमेरिका में एडवांस मेडिकल टेक्नोलॉजी व स्वस्थ डोनर्स के चलते सेरोगेसी के मामले बढ़ गए हैं। इसलिए उन्नत कानून बनाने की मांग उठ रही है। यूरोप के ज्यादातर देशों में कारोबार के तौर पर सरोगेसी पर रोक है। एक शोध के मुताबिक, यूक्रेन में 15-20% सरोगेट महिलाएं सैनिकों की पत्नियां हैं।

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