राज्य

बिलासपुर के कानन पेंडारी में प्रसव के दौरान शेरनी ‘मौसमी’ की मौत, इधर बाघिन ‘रंभा’ में 4 शवकों को दिया जन्म

बिलासपुर

छतीसगढ़ के बिलासपुर शहर से लगा कानन पेंडारी जूलॉजिकल पार्क वन्य प्राणियों के लिए कब्रगाह बन गया है। यहां वन्य जीवों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार का दिन कानन प्रबंधन के लिए खुशी-गम दोनों लेकर लेकर आया, जहां एक तरफ बाघिन रंभा ने चार नन्हे शावकों को जन्मदिन दिया तो वहीं मादा लोयनिस मौसमी ने दम तोड़ दिया। उसके गर्भ में पल रहे दो शावकों की भी मौत हो गई।

मिली जानकारी के अनुसार 17 अप्रैल 2022 की रात्रि को एक मादा बाघिन (रंभा) ने 4 बच्चों को जन्म दिया। रंभा का जन्म कानन पेंडारी जू में 25 अप्रैल 2015 को हुया था। मादा बाघिन रंभा ने 11 नवंबर 2018 को दो शवकों (भैरव, दुर्गा) को जन्म दिया था। मादा बाधिन को जंगल सफारी रायपुर से 12 अगस्त 2018 को वन्यप्राणी आदान–प्रदान के तहत लाये गये नर बाघ शिवाजी के साथ मेटिंग कराया गया था। बताया जा रहा है कि वर्तमान में सभी बच्चे स्वस्थ हैं। उन्हें लगातार सतत निगरानी में रखा गया है।

मादा शेरनी मौसमी की प्रसव के दौरान मौत
एक मादा शेरनी मौसमी की प्रसव के दौरान मृत्यु हो गई। मादा शेरनी गर्भ से थी। उसकी सतत निगरानी की जा रही थी। रविवार से मादा शेरनी में प्रसव के प्रारंभिक लक्षण दिखाई दिये। मादा शेरनी मौसमी की प्रसव के दौरान शाम 4.15 बजे मौत हो गई। कानन पेंडारी जू के पशुचिकित्सकों द्वारा शेरनी के नवजात बच्चे को बचाने के लिए तत्काल सिजेरियन किया गया, जिसमें यह पाया गया कि दोनों शावकों की मौत हो गई थी। शेरनी की मृत्यु के बाद संचालक, अचानकमार अमरकंटक बायोस्फियर रिजर्व कोनी एवं परिक्षेत्राधिकारी, कानन पेंडारी जू की उपस्थिति में पशु चिकित्सकों की समिति गठित सदस्य डॉ. आरएम त्रिपाठी, डॉ. अजीत पांडेय, कानन पेंडारी जू एवं कोटमीसोनार के पशु चिकित्सक डॉ. तृप्ति सोनी की उपस्थिति में शव का पीएम किया गया।  पशु चिकित्सकों की समिति ने मादा शेरनी की मौत का कारण  होना बताया है।

 दो माह में 7 वन्य जीवों की मौत हो चुकी
बता दें कि इससे पहले 12 फरवरी को मादा हिप्पोपोटामस सहेली की मौत हो गई थी। प्रबंधन और डॉक्टरों ने उसकी वजह की वजह हार्ट अटैक को बताया था। 26 फरवरी को एक नर भालू की मौत हुई उस समय भालू की मौत की वजह निमोनिया बताया गया था। 3 मार्च को घायल बाघिन रजनी की कानन में मौत हो गई। 10 मार्च को दूसरे नर भालू की मौत हो गई। 26 मार्च को फिर एक भालू की मौत हुई। 4 अप्रैल को एक बाघिन की मौत हो गई। बाघ भैरव ने बाघिन चेरी की गला दबाकर जान ले ली। 2 महीने के भीतर कानन पेंडारी में वन्य जीव की यह सातवीं मौत है। लगातार मौतों से पार्क प्रबंधन की व्यवस्थाओं पर सवाल भी उठने लगे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button