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लखीमपुर हिंसा मामले में आशीष मिश्रा को जमानत देने वाले जज ने खुद को अगली सुनवाई से किया अलग

लखनऊ
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अझय कुमार मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत को लेकर सुनवाई वाली बेंच से खुद को अलग कर लिया है। जस्टिस राजीव सिंह ने हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के जज हैं, जिन्होंने हाल ही में आशीष मिश्रा को जमानत दी थी, उन्होंने इस मामले में अगली सुनवाई वाली बेंच से खुद को अलग कर लिया है। दरअसल 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को बेल दिए जाने के कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया था, जिसके बाद जस्टिस राजीव सिंह ने अगली सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। हालांकि जस्टिस राजीव सिंह ने इसकी कोई स्पष्ट वजह नहीं दी है कि आखिर वह खुद को क्यों इस सुनवाई से बेंच से अलग कर रहे हैं।

बता दें कि जस्टिस राजीव मिश्रा की एकल जज बेंच ने आशीष मिश्रा को जमानत दी थी,जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था। इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं हुई है। पिछले हफ्ते चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 10 फरवरी को हाई कोर्ट द्वारा दी गई जमानत को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जमानत देने के लिए तय मानकों और पूर्व के फैसलों को नजरअंदाज किया गया।

 कोर्ट ने हाई कोर्ट से कहा कि तीन महीने के भीतर कोर्ट फिर से इस मामले में भेदभाव रहित और निष्पक्ष तरीके से सुनवाई करे। दरअसल तीन पीड़ित परिवारों की ओर से आरोपी के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पीड़ितों को अपना पक्ष रखने का पर्याप्त मौका दिया जाएगा। बता दें कि कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान अक्टूबर 2021 में किसानों के ऊपर कार चढ़ा दी गई थी, आरोप है कि यह कार आशीष मिश्रा की थी और वह इस घटना में शामिल थे। कोर्ट ने पीड़ित परिवारों को कानूनी सहायता मुहैया कराने का भी निर्देश दिया है क्योंकि वह अपने खर्च पर वकील को वहन नहीं कर पा रहे है।

गौर करे वाली बात है कि 3 अक्टूबर 2021 की घटना में आशीष मिश्रा मुख्य आरोपी है, उसकी गाड़ी से इस घटना को अंजाम दिया गया था। घटना के बाद भाजपा के दो कार्यकर्ताओं को उनके ड्राइवर को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था। जबकि एक स्थानीय पत्रकार की भी इस घटना में मृत्यु हो गई थी।
 

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