विदेश

पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा का संकट,आयात के लिए सिर्फ दो महीने का रिजर्व

इस्लामाबाद

पाकिस्तान में निजाम बदलने के बाद भी न तो राजनीतिक हालात स्थिर हो रहे हैं और न ही आर्थिक संकट कम होने का नाम ले रहा है। पाकिस्तान में लगातार गिरती रुपये की कीमत और विदेशी मुद्रा का संकट श्रीलंका जैसे हालात पैदा करने के लिए काफी हैं। पाकिस्तान जल्द ही डिफॉल्टर देश बन सकता है। पाकिस्तान की इकॉनमी बेहद बुरे दौर से गुजर रही है।

IMF से बेलआउट पैकेज के लिए जूझ रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान में इन्वेस्ट करने से निवेशक भी डरे हुए हैं। पाकिस्तान अगर श्रीलंका जैसे हालात से बचना चाहता है तो उसके पास केवल बेलआउट पैकेज ही सहारा है। अगर उसे बेलआउट पैकेज नहीं मिलता है तो इतिहास में दूसरी बार ऐसा होगा कि पाकिस्तान ग्लोबल डिफॉल्टर घोषित हो जाएगा। इस मामले में पाकिस्तानी अधिकारियों ने दोहा में आईएमएफ से बात की। हालांकि यह बेलआउट पैकेज लेने के लिए पाकिस्तान को कई कड़े फैसले करने पड़ सकते हैं जिससे राजनीतिक हालात और बिगड़ सकते हैं।

इमरान खान ने बढ़ाई चिंता
इमरान खान ने पाकिस्तान सरकार की चिंता और बढ़ा दी है। वह सरकार के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और उनके  समर्थक इसी साल चुनाव की मांग कर रहे हैं। वह फिर से सत्ता पर काबिज होना चाहते हैं। वहीं कुर्सी से छोड़ने से पहले भी वह ऐसा फैसला कर गए  हैं जिससे सरकार के हाथ-पैर बंध गए हैं। इमरान खान ने सत्ता में रहते ही फ्यूल की कीमतें चार महीने के लिए फ्रीज कर दी थीं।

क्या बंद हो जाएगा आयात?
अगर पाकिस्तान को आईएमएफ से मदद नहीं मिलती है तो यहां भी आयात पर बड़ा संकट आ सकता है। जिस तरह से श्रीलंका इस समय पेट्रोल तक आयात नहीं कर पा रहा है वही स्थिति पाकिस्तान की भी हो सकती है। अप्रैल 2022 में पाकिस्तान के पास केवल 10.2 अरब डॉलर का फॉरेन रिजर्व था जो कि दो महीने के आयात के लिए भी नाकाफी है। आंकड़ों के मुताबिक 2016 में पाक के पास सबसे ज्यादा 19.9 अरब डॉलर का फॉरेन रिजर्व था। वहीं 1972 में सबसे कम 96 मिलियन डॉलर की ही विदेशी मुद्रा बची थी।

कुर्सी और अर्थव्यवस्था के बीच फंसे शहबाज
पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ इन दिनों कुर्सी और आर्थिक संकट के बीच फंसे दिख रहे हैं। आईएमएफ ने पाकिस्तान के सामने शर्त रखी थी कि जब तक फ्यूल पर सब्सिडी बंद नहीं की जाएगी वह कर्ज नहीं दे सकता। अब शहबाज शरीफ के सामने चुनौती है कि जनता के गुस्से के बीच वह ऐसा कदम कैसे उठाएंगे। पाकिस्तान हर महीने फ्यूल पर 60 करोड़  डॉलर की सब्सिडी देता है। पाकिस्तान के अधिकारियों का कहना है कि वह सब्सिडी को बचाते हुए कोई बीच का रास्ता निकालने का प्रयास कर रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button