पम्पी पर छापे को बताया अखिलेश ने बदनाम करने की साजिश, बोले-हिटलर के यहां सिर्फ एक मिनिस्टर था, BJP पूरी प्रोपेगेंडा पार्टी
कन्नौज
समाजवादी पार्टी के एमएलसी पुष्पराज जैन पम्पी के ठिकानों पर जारी छापेमारी के बीच पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कन्नौज पार्टी ऑफिस पर प्रेस कॉफ्रेंस की। अखिलेश ने बीजेपी को जमकर कोसा और जमकर वार किए। उन्होंने कहा कि जब बीजेपी की डिजिटल टीम समाजवादी इत्र बनाने वाले की सही पहचान नहीं कर पाई और गलती से उनके ही समर्थक पीयूष जैन के घर छापा पड़ गया तो सच बाहर आ गया। उन्होंने कहा कि पीयूष जैन के यहां छापामारी के दौरान सपा को बदनाम करने की खूब कोशिश की गई। हिटलर के जमाने में उनके यहां सिर्फ एक प्रोपेगेंडा मिनिस्टर था। यहां पूरी की पूरी प्रोपेगेंडा पार्टी है। अखिलेश ने कहा कि इस छापे से बीजेपी की बौखलाहट और उसका डर साफ दिख रहा है। बीजेपी जा रही है। वो दिल्ली से एजेंसियां लाती है। कन्नौज का इत्र पूरी दुनिया में मशहूर है। बीजेपी का फूल कागज का फूल है। उससे खुशबू नहीं आ सकती। बीजेपी का फूल झूठ का फूल है। नफरत की दुर्गंध फैलाने वाले भाजपा के लोग, सौहार्द की सुगंध को कैसे पसंद करेंगे।
उन्होंने कहा कि ये समाजवादी इत्र बनाने वाले पुष्पराज जैन को ढूंढने गए थे और उन्होंने अपने ही साथी पीयूष जैन को ढूंढ निकाला।अब अपनी खीझ मिटाने के लिए समाजवादी इत्र बनाने वाले पुष्पराज जैन के यहां छापा मारा है और इनके साथ कई और भी लपेटे में आ गए हैं क्योंकि भाजपा को दिखाना है कि हम निष्पक्ष हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा-मेरी प्रेस कॉन्फ्रेंस पहले से तय थी। ये पहले ही सूचना आ गई थी कि समाजवादियों के यहां छापे पड़ेंगे। जब भाजपा नेताओं का उत्तर प्रदेख में कार्यक्रम होता है तो आयकर विभाग की टीम साथ आती है। पिछले दो हफ्ते से लगातार सपा से जुड़े लोगों पर छापे पड़ रहे हैं। एजेंसियों को आदेश देकर ये छापे डलवाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कन्नौज समाजवादी लोगों से जुड़ा शहर है। यहां वर्षों से इत्र का कारोबार हो रहा है। इस कारोबार से बड़ी संख्या में यहां के लोग जुड़े हैं। कन्नौज के इत्र का डंका दुनिया भर में बजता है। भाजपा के लोग लखनऊ से लेकर दिल्ली तक के लोग कन्नौज को बदनाम करने में लगे हैं। सपा अध्यक्ष ने एक बार फिर कहा कि पीयूष जैन के घर छापेमारी से समाजवादी पार्टी का कोई रिश्ता नहीं है। भाजपा को बताना चाहिए कि नोटबंदी के बावजूद किसी के पास इतना पैसा इकट्ठा कैसे हुआ। नोटबंदी और जीएसटी के बाद किए गए दावों का क्या हुआ।