कोरोना के बीच में फ्लोरोना का खतरा
दुनियाभर में ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों ने जहां लोगों की चिंता बढ़ा दी हैं, वहीं कोरोनावायरस की तीसरी लहर के डर के बीच इजरायल में फ्लोरोना का पहला मामला सामने आया है। फ्लोरोना रोग कोविड-19 और फ्लू का दोहरा संक्रमण है। इस बीमारी का निदान इजरायल के एक अस्पताल में बच्चे को जन्म देने पहुंची महिला में किया गया। शुरूआती रिपोर्टों के अनुसार, महिला को कोविड-19 का टीका नहीं लगाया गया था। उसके लक्षण थोड़े हल्के थे।
कुछ दिनों में इंफ्लुएंजा के मामलों में स्पाइक देखा गया है, इसलिए इजरायली डॉक्टर्स फ्लोरोना को लेकर स्टडी कर रहे हैं। हालांकि कोरोना से मिलते जुलते नाम के कारण लोग इसे कोरोना का नया वैरिएंट मान रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञ बताते हैं कि अल्फा, बीटा , डेल्टा और ओमिक्रॉन के विपरीत फ्लोरोना कोरोनावारस का म्यूटेंट वैरिएंट नहीं है। यह कोविड-19 और इंफ्लूएंजा रोगजनकों के कारण होने वाले दोहरे श्वसन संक्रमण का मामला है। जब इन दोनों संक्रमणों के वायरस एक साथ शरीर में पहुंचते हैं, तो इस स्थिति को फ्लोराना कहा जाता है।
बता दें कि ये दोनों ही वायरस इंसान के शरीर के लिए घातक हैं। यदि किसी इंसान को कोरोना और इंफ्लुएंजा एकसाथ हो जाए, तो उसे कोरोना से दोगुना खतरा हो सकता है। तो आइए जानते हैं क्या हैं फ्लोरोना के लक्षण और कैसे फैलता है।
फ्लोरोना के लक्षण
इंफ्लुएंजा और फ्लू दोनों ही श्वसन तंत्र में संक्रमण का कारण बनते हैं। जिससे एक जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। WHO के अनुसार, एक व्यक्ति एक ही समय में दोनों संक्रमण से पीड़ित हो सकता है। इसमें गले में खराश, नाक बहना, , खांसी, बुखार, सिरदर्द और थकान जैसे समान लक्षण शामिल हैं। हालाङ्क्षक स्थिति की गंभीरता एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति पर निर्भर करती है। इसके लक्षण हल्के से गंभीर तक हो सकते हैं। लेकिन अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो दोनों ही स्थितियों में यह खतरनाक साबित हो सकता है।
कोविड में एक व्यक्ति स्वाद और गंध का अनुभव कर सकता है, लेकिन फ्लू में ऐसा कुछ महसूस नहीं होता। यहां तक की कोविड के मामले में देखी गई संक्रमण के बाद की जटिलताएं भी इंफ्लुएंजा वायरस से पीड़ित होने पर लगभग गायब रहती हैं।
फ्लोरोना कैसे फैलता है
अपर रेस्पिरेट्री सिस्टम की बीमारी होने के कारण फ्लू और कोविड दोनों एक संक्रमित व्यक्ति द्वारा खांसने, बोलने या छींकने के दौरान निकलने वाले वायरस से दूषित एरोसोल कणों के जरिए संचारित होते हैं। जब एक स्वस्थ व्यक्ति हवा में सांस लेता है या वायरस से दूषित सतह को छूता है, तो रोगजनक श्वसन तंत्र में पहुंच जाते हैं, जहां यह गुणा करना शुरू कर देते हैं। आमतौर पर वायरस से संक्रमित होने के बाद इसके लक्षण दिखने में 2 से 10 दिन का समय लगता है। साथ ही शुरूआती दिनों में दूसरों में भी वायरस फैलने का खतरा ज्यादा रहता है।
अब इसका पता क्यों लगाया गया
तापमान में गिरावट के साथ फ्लू का खतरा बढ़ गया है। जिससे दोहरे श्वसन संक्रमण पर चिंता भी बढ़ गई है। विशेषज्ञ पिछले साल भी महामारी के दौरान दोहरे संक्रमण को लेकर चिंता में थे, लेकिन तब ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया था। ऐसा कोविड नॉर्म और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लगाए गए लॉकडाउन के कारण हो सकता है। पाबंदियों में ढील के चलते इस साल दोहरे संक्रमण की सूचना मिली है।
कोविड के साथ लगवाएं फ्लू के टीके भी
कोविड-19 एक सामय में शरीर के कई अंगों को प्रभावित करता है। यहां तक की इन्हें गंभीर व लंबे समय के लिए बड़ा नुकसान भी पहुंचा सकता है। लगभग एक जैसे लक्षण होने के कारण दो स्थितियों का पता लगाना भी मुश्किल है। विशेषज्ञ कहते हैं हम फ्लोरोना की जटिलताओं और गंभीरता के बारे में निश्चित रूप से कुछ भी कहना ठीक नहीं है। क्योंकि फिलहाल इसके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। तब तक बेहतर है कि कोरोना वायरस से संबंधित नियमों का पालन करें और जल्द से जल्द कोविड के साथ फ्लू के टीके भी लगवाएं।
एहतिहात बरतना जरूरी
इजरायल के स्वास्थ्य मंत्रालय और सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल ने चेतावनी जारी की है कि ये संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इस मंडराते हुए खतरे को देखते हुए इजरायली स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों से एहतिहात बरतने की सिफारिश की है। उसने 6 महीने से ज्यादा उम्र के लोगों को इंफ्लुएंजा की वैक्सीन लगाने की सलाह दी है। यह वैक्सीन कोरोना वैक्सीन के साथ दी जा सकती है।
पहले से ही ओमिक्रॉन की दहशत के चलते अब इस नई बीमारी के आने से कई तरह की आशंकाएं जन्म लेने लगी हैं।जिस महिला में फ्लोरोना के लक्षण मिले हैं, उसने टीका नहीं लगवाया था। ऐसे में कोविड वैक्सीन को लगवाने की जरूरत और ज्यादा बढ़ गई है। यह समय आशंकाएं पालने का नहीं बल्कि ज्यादा से ज्यादा सावधानी बरतने का है।