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इलाहाबाद HC ने मथुरा अदालत से तलब की रिपोर्ट, 2 अगस्त की तारीख निर्धारित की

   इलाहाबाद

श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर जारी विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने मुख्य पक्षकार मनीष यादव की याचिका पर सुनवाई करते हुए जिला जज मथुरा से प्रकरण की पूरी रिपोर्ट मांगी है.

हाई कोर्ट ने कहा कि अब तक की पूरी कार्यवाही से उच्च न्यायालय को अवगत कराया जाए. कोर्ट ने पूछा कि आज तक एक भी प्रार्थना पत्र का निपटारा क्यूं नहीं हुआ? अगर सर्वे की जरूरत है तो जिला जज विलंब क्यूं कर रहे हैं? इस मामले पर फैसले के लिए उच्च न्यायालय ने 2 अगस्त की तारीख निर्धारित की है.

बता दें कि इससे पहले 23 जुलाई को सर्वे की मांग पर मथुरा की एक अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. दरअसल, वादी अखिल भारत हिंदू महासभा के कोषाध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कोर्ट में याचिका लगाई थी. उन्होंने मांग की थी कि कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के पास स्थित शाही ईदगाह मस्जिद में मंदिर के चिन्हों के सत्यापन के लिए आयुक्त की नियुक्ति की जाए. इस मामले को लेकर ही कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

केस अखिल भारत हिंदू महासभा के दिनेश शर्मा की तरफ से अधिवक्ता देवकीनंदन शर्मा और दीपक शर्मा ने किया था. उन्होंने बताया कि अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजय चौधरी की अदालत में सुनवाई हुई. अधिवक्ताओं ने एजेंसी से कहा कि हमने अदालत के द्वारा नियुक्त आयुक्त के माध्यम से ईदगाह का सर्वेक्षण कराने की मांग पर जोर दिया था, जिस पर अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.

अधिवक्ताओं ने कहा था कि अदालत का फैसला आने के बाद अगली कार्रवाई पर फैसला किया जाएगा. फैसला पक्ष में आता है तो ठीक है. अन्यथा इसके खिलाफ अपील की जाएगी.

ये विवाद 13.37 एकड़ भूमि के मालिकाना हक का है. इसमें 10.9 एकड़ जमीन कृष्ण जन्मस्थान के पास और 2.5 जमीन शाही ईदगाह मस्जिद के पास है. मथुरा में इस विवाद की चर्चा पिछले साल तब शुरू हुई थी, जब अखिल भारत हिंदू महासभा ने ईदगाह मस्जिद के अंदर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित करने और उसका जलाभिषेक करने का ऐलान किया था. हालांकि, हिंदू महासभा ऐसा कर नहीं सकी थी.

बता दें कि काशी और मथुरा का विवाद भी कुछ-कुछ अयोध्या की तरह ही है. हिंदुओं का दावा है कि काशी और मथुरा में औरंगजेब ने मंदिर तुड़वाकर वहां मस्जिद बनवाई थी. औरंगजेब ने 1669 में काशी में विश्वनाथ मंदिर तुड़वाया था और 1670 में मथुरा में भगवा केशवदेव का मंदिर तोड़ने का फरमान जारी किया था. इसके बाद काशी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद बना दी गई. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री ने वाद दायर किया था.

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