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ऊंची महंगाई से ब्याज दरों में नरमी की उम्मीद नहीं, महामारी पूर्व स्तर से अधिक हो सकता है रेपो रेट

 नई दिल्ली
 
मई में खुदरा महंगाई में थोड़ी नरमी के बाद थोक महंगाई तीन दशक के शीर्ष पर पहुंच गई है। इससे रिजर्व बैंक की ओर से नीतिगत दरें (रेपो रेट) में नरमी की उम्मीद घट गई है। महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने अपनी प्रमुख ब्याज दर में मई में 0.40 प्रतिशत और जून में 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर चुका है। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि थोक महंगाई में वृद्धि के रुख को देखते हुए अगस्त और सितंबर में भी रेपो दरों में इजाफा कर सकता है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति के फैसले की जानकारी देते हुए कहा था कि नीतिगत दर को लेकर आने वाले समय में कदम परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। इसे भी सख्त मौद्रिक नीति का संकेत माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि सितंबर तक रेपो दर में 0.50 फीसदी तक की और वृद्धि होने का अनुमान है। ऐसा होता है तो आवास और कार ऋण समेत सभी तरह के कर्ज और महंगे हो सकते हैं।

मई में खुदरा मुद्रास्फीति 7.04 प्रतिशत थी, जो लगातार पांचवें महीने रिजर्व बैंक के लक्ष्य से ऊपर रही। भारतीय रिजर्व बैंक नीतिगत दरें तय करने में खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है। रिजर्व बैंक के सामने मुद्रास्फीति को औसतन चार प्रतिशत के दायरे में रखने की चुनौती है। यस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पान का कहाना है कि मुद्रास्फीति ने आरबीआई के समक्ष मौद्रिक नीति को सख्त करने की जरूरत पैदा की है। मुद्रास्फीति को प्रमुख चिंता का विषय बताते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि सभी तिमाहियों के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान पांच प्रतिशत से ऊपर हैं। इसलिए कीमतों में स्थिरता बनाए रखना सबसे जरुरी है।

फिच रेटिंग्स ने मंगलवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक दिसंबर 2022 तक ब्याज दरों को 5.9 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है जो अभी 4.9 फीसदी है। फिच ने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के अपने ताजा अपडेट में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था बिगड़ते बाहरी माहौल, जिंस कीमतों में बढ़ोतरी और सख्त वैश्विक मौद्रिक नीति का सामना कर रही है।

रेटिंग एजेंसी ने कहा, मुद्रास्फीति के लिए बिगड़ते परिदृश्य को देखते हुए, अब हमें उम्मीद है कि आरबीआई ब्याज दर को बढ़ाकर दिसंबर 2022 तक 5.9 प्रतिशत और 2023 के अंत तक 6.15 प्रतिशत (जबकि पिछला पूर्वानुमान पांच प्रतिशत था) कर सकता है और 2024 में इसके अपरिवर्तित रहने की उम्मीद है।

महामारी पूर्व स्तर से ऊंचा हो सकता है ब्याज
एसबीआई के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्यकांति घोष का कहना है कि रेपो दर के अगस्त तक 5.5 से 5.75 प्रतिशत के बीच पहुंचने की संभावना है, जो महामारी-पूर्व स्तर (5.15 प्रतिशत) से काफी अधिक है। यस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पान का कहना है मुद्रास्फीति ने आरबीआई के समक्ष मौद्रिक नीति को सख्त करने की जरूरत पैदा की है औरहमें लगता है कि आरबीआई अगस्त और सितंबर में भी रेपो दर में 0.25-0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है।

खुदरा महंगाई के बढ़ने की आशंका
मई में थोक महंगाई में तेज उछाल के बाद आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि इसके असर से जून-जुलाई में खुदरा महंगाई भी इजाफा देखने को मिल सकता है। जबकि मई में खुदरा महंगाई नरम पड़ी थी। विशेषज्ञों का कहना है कि थोक महंगाई का असर उपभोक्ताओं तक पहुंचने में दो माह का समय लग जाता है। साथ ही थोक महंगाई का खुदरा महंगाई पर सबसे अधिक असर विनिर्मित उत्पादों और परिहवन पर दिखता है।

 

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