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RBI ने मौद्रिक नीति का किया ऐलान, ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं

नई दिल्ली
 रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने वित्त वर्ष 2022-23 की पहली मौद्रिक नीति का ऐलान कर दिया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति का ऐलान करते हुए कहा कि ब्याज दरों (रेपो रेट) में किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है। वह पहले की तरह 4 फीसदी पर ही बरकरार है जबकि रिवर्स रेपो रेट में 40 बेस प्वाइंट की बढ़ोत्तरी की गई है।
 

गौर करने वाली बात है कि रेपो रेट लगातार 11वें क्वार्टर में स्थिर रहा है और इसे 4 फीसदी पर ही बरकरार रखा गया है। हालांकि रिवर्स रेपो रेट को 3.75 से बढ़ा दिया गया है और इसमे 40 बेस प्वाइंट की बढ़ोत्तरी की गई है। गवर्नर ने कहा कि हमारी मौद्रिक नीति का लक्ष्य देश की अर्थव्यवस्था और विकास को बढ़ावा देना है। आरबीआई ने मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी को भी बदला नहीं गया है और यह 4.25 फीसदी है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से कहा गया है कि इस वित्त वर्ष में जीडीपी 7.2 फीसदी रहने का अनुमान है। बता दें कि रेपो रेट 22 मई 2020 को 4 फीसदी था जो लगतार 4 फीसदी पर बना हुआ और आरबीआई ने इसमे कोई बदलाव नहीं किया है।

 

वित्त वर्ष 2013 के लिए भारत की जीडीपी विकास दर को घटाकर 7.2% कर दिया गया है, जो पिछली बैठक में 7.8% थी.

भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों को 4% पर अपरिवर्तित रखा है. RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई ने अपना रास्ता सफलतापूर्वक नेविगेट किया है. यूरोपीय युद्ध के प्रकोप के साथ, हमें नई और भारी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. यूरोपीय संघ के संघर्ष में वैश्विक अर्थव्यवस्था को बाधित करने की क्षमता है.

FY23 में CPI मुद्रास्फीति औसतन 5.7 प्रतिशत देखी गई. अप्रैल-जून 2022 में इसे औसतन 6.3 प्रतिशत देखा गया है; जुलाई-सितंबर 2022 में औसतन 5.0 प्रतिशत देखा गया; अक्टूबर-दिसंबर 2022 में औसत 5.4 प्रतिशत देखा गया; और जनवरी-मार्च 2023 में औसत 5.1 प्रतिशत देखा गया.

आरबीआई गवर्नर दास का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक प्रणाली में पर्याप्त तरलता बनाए रखेगा. आरबीआई वीआरआरआर नीलामी जारी रखेगा.

बता दें, रेपो दर में आखिरी बार 22 मई 2020 को कोविड-प्रेरित राष्ट्रव्यापी तालाबंदी पर कटौती की गई थी. तब से, दर 4 प्रतिशत के ऐतिहासिक निचले स्तर पर बनी हुई है. रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) इस वित्तीय वर्ष में छह बार बैठक करेगी. 2022-23 की अगली द्विमासिक मौद्रिक नीति 6-8 जून के दौरान आयोजित की जाएगी.

क्या है रेपो और रिवर्स रेपो रेट?

जब कॉमर्शियल बैंक आरबीआई से उधार लेते हैं तो केंद्रीय बैंक जो ब्याज दर वसूलता है उसे रेपो रेट कहा जाता है. आरबीआई कॉमर्शियल बैंकों को केंद्रीय बैंक के साथ अपनी अतिरिक्त नकदी पार्क करने पर जो ब्याज देता है उसे रिवर्स रेपो रेट कहा जाता है. चूंकि RBI भी एक बैंक है और उसे जितना भुगतान करता है उससे अधिक अर्जित करना पड़ता है, तो रेपो दर रिवर्स रेपो दर से अधिक होती है. फिलहाल रेपो रेट 4% और रिवर्स रेपो रेट 3.35% है.

 

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