छत्तीसगढ़

स्वदेशी मेले में दिखती है भारत की समृद्ध परंपरा की झलक, स्वदेशी वस्तुओं का करें उपयोग: राज्यपाल

रायपुर:  राज्यपाल  अनुसुईया उइके गत दिवस साइंस कॉलेज मैदान, रायपुर में स्वदेशी जागरण फाउंडेशन की ईकाई भारतीय विपणन विकास केन्द्र द्वारा आयोजित स्वदेशी मेले के समापन कार्यक्रम में शामिल हुई। इस मौके पर राज्यपाल  उइके ने स्वदेशी मेले में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया। साथ ही राज्यपाल ने पेंटिंग प्रदर्शनी का अवलोकन कर चित्रकारों की प्रशंसा की। चित्रकारों ने राज्यपाल को उनका स्केच भेंट किया। स्वदेशी मेला के आयोजकों द्वारा राज्यपाल को स्मृति चिन्ह तथा स्वदेशी उत्पादों की टोकरी भेंट की गई।

 20 वर्षों से स्वदेशी मेले के सफल आयोजन 

राज्यपाल  उइके ने समापन समारोह को संबोधित करते हुए 20 वर्षों से स्वदेशी मेले के सफल आयोजन के लिए मेला प्रबंधन को शुभकामनाएं दी और विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता प्रतिभागियों से कहा कि वे दूत बनकर स्वदेशी मेला का प्रचार प्रसार करें तथा स्वदेशी उत्पाद के उपयोग के लिए लोगों को जागरूक करें। राज्यपाल  उइके ने कहा कि छत्तीसगढ़वासियों की रूचि और सक्रियता ने भी मेले को विशेष पहचान दिलाई है और लोग वर्षभर मेले का इंतज़ार करते हैं तथा जमकर पसंदीदा देशी वस्तुओं की खरीदी करते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी के वोकल फ़ॉर लोकल के संदेश के साथ ही देशी उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए हो रहे प्रयासों का भी जिक्र किया। राज्यपाल ने कहा कि स्वदेशी मेले के माध्यम से वोकल फ़ॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को विस्तार मिला है। इस दौरान राज्यपाल ने  दत्तोपंत ठेंगढ़ी को भी नमन किया और स्वदेशी की संकल्पना में उनके योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि स्वदेशी मेला जहां एक ओर लोगों का भारत के स्थानीय उत्पादों से परिचय कराता है, वहीं लघु व मध्यम उद्योगों को अवसर प्रदान करने का भी काम करता है। स्वदेशी मेले जैसा शायद ही कोई मंच है, जो लोक उत्पाद को इतना बड़ा बाजार उपलब्ध कराता है। समेकित रूप से इन आयोजनों में भारत की समृद्ध परंपरा की झलक देखने को मिलती है। राज्यपाल ने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित हुए स्वदेशी मेलों की सराहना की और इसे भारतीय उद्योगों के लिए लाभकारी बताया। राज्यपाल  उइके ने स्वदेशी मेले के ऐतिहासिक पक्ष का उल्लेख करते हुए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में स्वदेशी आंदोलन के उद्भव और इसके प्रभाव का उल्लेख किया।
 

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