छत्तीसगढ़

 जिले में है एक रहस्यमई पेड़ जिसके पानी से हजारों लोग बुझा रहे हैं अपनी प्यास

कोरबा, कोरबा जिले में स्थित इस रहस्यमयी पेड़ से करीब एक सदी से भी अधिक समय से चार गांव के एक बड़ी आबादी की प्यास बुझ रही है। पेड़ की जड़ में पाइप लगाया गया है और तीन अलग-अलग जगहों पर पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह प्राकृतिक अजूबा कोरबा जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर ग्राम कोरकोमा में स्थित है।
        इंसान चाहे लाख दावे कर ले लेकिन प्रकृति की हर खूबी हर रहस्य का जान पाने के दावे हमेशा टूटते ही रहेंगे। जब-जब आपको लगेगा कि अब आप सब कुछ जान गए तभी प्रकृति कुछ ऐसा लाकर सामने रख देगी जो आपकी आंखें चौंधियाने पर मजबूर कर देगी। पेड़ और पानी का अटूट रिश्ता है ये तो हमने बचपन की किताबों में पढ़ा ही है कि कैसे बारिश के लिए पेड़ और पेड़ के लिए पानी ज़रूरी होता है। लेकिन क्या कभी आपने पानी वाला पेड़ देखा है? 
        कोरबा जिले से 22 किलोमीटर दूर ग्राम कोरकोमा में अर्जुन के पेड़ की जड़ से निरंतर साफ़ पानी निकलता रहता है। इस प्राकृतिक जलस्त्रोत से करीब एक सदी से भी अधिक समय से चार गांव के एक बड़ी आबादी की प्यास बुझ रहा है। पेड़ के जड़ में पाइप लगाया गया है और तीन अलग-अलग जगहों पर पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है।
        कोरकोमा के ग्रामीण संतोष केशरवानी बताते हैं कि 5वीं पीढ़ी उनकी गांव में है। बचपन से वे इस पेड़ से पानी निकलता देख रहे हैं। वे बताते है कि यह सुनते-सुनते बड़े हुए हैं कि उनके दादा और परदादा के जमाने मे भी इस पेड़ से जल निकलता रहा है। इस जल में गांव वालों की आस्था है मान्यता है कि इस पानी को पीने से रोग दूर होते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि वृक्ष के जड़ से निकलने वाले पानी का सेवन करने से गैस्ट्रिक कब्ज शुगर सहित अन्य रोगों में लाभ मिलता है साथ ही इस पानी से नहाने में चर्मरोग भी ठीक होता है। यह प्राकृतिक जल स्रोत उनके लिए वरदान है। इसलिए इस जल स्रोत को गांव वाले देव स्थान मान कर इसकी पूजा करते हैं।
        भीषण गर्मी पड़ने पर जब गांव के आस-पास के जल स्त्रोत सूख जाते है तब भी यहां पानी की धार कम नहीं होती। पेड़ से निकली इस जल धारा पर गांव के हजारों लोग निर्भर है। खास बात यह है कि पानी इतना शुद्ध है कि इसे बिना छाने या उबाले पीने के उपयोग में ग्रामीण कर रहे हैं। इसके अलावा पानी का उपयोग सुबह-शाम निस्तारी के लिए भी करते है।

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