विशेष

डॉ. राघवेन्द्र शर्मा

भारत के अब तक के सर्वाधिक लोकप्रिय और यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का मध्यप्रदेश आगमन अब केवल रूटीन कार्यप्रणाली का हिस्सा मात्र नहीं रह गया है। उनका बारबार यहां आना और हृदय प्रदेशवासियों को नई-नई सुविधाओं की सौगात देना, पारंपरिक रूप अख्तियार करता जा रहा है। इससे यह बात स्पष्ट हो चली है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा किए जाने वाले जनहित के कार्य भा रहे हैं। यही वजह है कि इस दूसरे चरण के 4 वर्षीय प्रधानमंत्रित्वकाल में प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के इतने अधिक दौरे किए हैं, जितने पूर्व के प्रधानमंत्रियों द्वारा शायद ही किए गए हों। सबसे अच्छी बात यह है की श्री मोदी जब भी प्रदेश के किसी भी शहर में आते हैं तो उनका आगमन खाली हाथ नहीं होता। कभी वे देश को रानी कमलापति स्टेशन जैसा अत्याधुनिक मॉडल प्रदान करते हैं। तो कभी आदिवासी भाईयों की जीवन प्रणाली सुधारने के प्रयास करते दिखाई देते हैं। उज्जैन के महाकाल कॉरिडोर का लोकार्पण किया जाना भी यह साबित करता है की उन्हें मध्यप्रदेश के औद्योगिक और आध्यात्मिक विकास की परवाह है। यदि राजनीतिक वक्तव्य का विश्लेषण किया जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि जहां मुख्यमंत्रियों द्वारा उनके मनमाफिक विकास कार्य किए जाते हैं, उन राज्यों के लिए प्रधानमंत्री शासकीय खजाने के दरवाजे खोल देते हैं। यही बात मध्य प्रदेश के बारे में भी लागू होती है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह केंद्र की किसी भी जनहितकारी योजना को हाथ से जाने देना नहीं चाहते। वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री भी मध्यप्रदेश शासन की प्रत्येक मांग को जैसे पूरा करने को तत्पर दिखाई देते हैं। शायद केंद्र और प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली के इस मिले-जुले स्वरूप को ही डबल इंजन वाली सरकार कहा गया है। यह कहावत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुंह से अनेक बार सुनने को मिलती रही है। लेकिन डबल इंजन की सरकार लोकहित में कितनी फायदेमंद हो सकती है, इसका जीवंत प्रमाण मध्यप्रदेश में सर्वाधिक देखने को मिलता है। कारण स्पष्ट है, यहां के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छी पटरी बैठती है। वह इसलिए, क्योंकि दोनों ही नेता अंतत: भारत का भला ही चाहते हैं। देश को वैश्विक स्तर पर अग्रणी और सर्वोच्च शिखर पर स्थापित करना दोनों का पावन लक्ष्य है। तो मतलब साफ है, जब दो नेताओं का मंतव्य एक है और दोनों ही देश को विकास के पथ पर ले जाना चाहते हैं, तो फिर कार्यप्रणाली में किसी भी प्रकार का भेदभाव शेष नहीं रह जाता। इसी परिदृश्य का परिणाम है कि प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा नई-नई जनहित की योजनाओं के लिए केंद्र सरकार से जो भी सहयोग मांगा जाता है, वह तत्काल उपलब्ध होता दिखाई दे रहा है।

इससे बहुत स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का मध्यप्रदेश से लगाव समय का सच साबित हो रहा है। प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि तीनों सेनाओं के प्रमुखों की बेहद महत्वपूर्ण बैठक को भोपाल में अंजाम दिया जा रहा है। यानि सुरक्षा और सुविधाओं की दृष्टि से भी देश के प्रधानमंत्रीन नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को सर्वाधिक अनुकूल पाते हैं। पूर्व में अनेक खेल गतिविधियां, जी-20 देशों की मीटिंगें और वैश्विक इन्वेस्टर्स मीट जैसे आयोजनों की सफल संपन्नता यह सत्य प्रतिपादित करती हैं कि मध्य प्रदेश को केंद्र सरकार का भरपूर स्नेह प्राप्त हो रहा है। वही प्रदेश की शिवराज सरकार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सकारात्मक भावनाओं को मूर्त रूप प्रदान करने में सफल है। परिणाम स्वरूप समूचे देश के साथ-साथ, खासकर मध्यप्रदेश को सर्वांगीण विकास के चौतरफा अवसर मिलने सुलभ होते जा रहे हैं। इस सकारात्मक राजनैतिक वातावरण के लिए केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की शिवराज सरकार बधाई की पात्र हैं।

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