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सेना पर पानी की तरह पैसे बहा रहा चीन; भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और कोरिया को मिलाकर अकेले खर्च कर रहा ड्रैगन

बीजिंग
 
दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश चीन अपनी सेना पर पानी की तरह पैसा बहा रहा है। भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया द्वारा सामूहिक रूप से अपनी सेना पर जितना खर्च किया जाता है, चीन उससे अधिक खर्च कर रहा है। 2021 में चीन का रक्षा खर्च 293 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो भारत ($76.6 अरब), जापान (54.1 अरब डॉलर), दक्षिण कोरिया (50.2 अरब डॉलर) और ऑस्ट्रेलिया (31.8 अरब डॉलर) के सामूहिक खर्च से काफी ज्यादा है। स्वीडिश थिंक-टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) द्वारा सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई।

इसमें कहा गया, "2021 में चीन का 293 बिलियन डॉलर का खर्च 2020 से 4.7% और 2012 से 72% की वृद्धि है। इसका खर्च लगातार 27 वर्षों से बढ़ा है। यह किसी भी देश द्वारा वृद्धि का सबसे लंबा समय है। अमेरिका के बाद चीन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा खर्च करने वाला देश है। भारत, जापान, कोरिया और ऑस्ट्रेलिया तीसरे, नौवें, दसवें और बारहवें सबसे बड़े खर्च करने वाले देश हैं।" स्वीडन स्थित रक्षा ‘थिंक-टैंक’ सिपरी ने सोमवार को कहा कि पहली बार वैश्विक सैन्य व्यय 2000 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर गया है और दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका इस मामले में पहले नंबर पर है।

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि 2021 में कुल वैश्विक सैन्य खर्च वास्तविक रूप से 0.7 प्रतिशत बढ़कर 2,113 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में सबसे ज्यादा रक्षा व्यय करने वाले पांच देशों में अमेरिका, चीन, भारत, ब्रिटेन और रूस थे जिन्होंने कुल मिलाकर 62 प्रतिशत खर्च किए। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में भी वैश्विक सैन्य खर्च बढ़ता रहा और यह 2,113 अरब अमेरिकी डॉलर के सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। यह लगातार सातवां साल था जब रक्षा खर्च बढ़ा।
सिपरी के सैन्य व्यय और हथियार उत्पादन कार्यक्रम के वरिष्ठ शोधकर्ता डिएगो लोप्स डा सिल्वा ने कहा, "कोविड-19 महामारी के बीच आर्थिक गिरावट के बाद भी विश्व सैन्य व्यय रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।"

रूस का सैन्य खर्च बढ़ा

इस बीच, रूस का सैन्य खर्च 2021 में 2.9 प्रतिशत बढ़कर 65.9 अरब डॉलर हो गया वहीं 2014 में क्रीमिया पर कब्जे किए जाने के बाद से यूक्रेन के सैन्य खर्च में 72 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इस बीच 2021 में भारत का सैन्य खर्च बढ़कर 76.6 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जो 2020 के आंकड़ों से 0.9 प्रतिशत अधिक है। भारत का सैन्य व्यय दुनिया में तीसरे नंबर पर था। भारत का सैन्य खर्च 2020 से 0.9 प्रतिशत और 2012 से 33 प्रतिशत अधिक रहा। पांच मई, 2020 को पैंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़पों के बाद भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले 23 महीनों से पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध कायम हैं। दोनों ओर से अभी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर करीब 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं।

भारत ने अपने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और हथियारों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वदेशी हथियार उद्योग को मजबूत बनाने के लिए, 2021 के भारतीय सैन्य बजट में पूंजी परिव्यय का 64 प्रतिशत घरेलू उत्पादित हथियारों की खरीद के लिए निर्धारित किया गया था। इसमें कहा गया है, "2021 में सैन्य खर्च करने वाले पांच सबसे बड़े देशों में अमेरिका, चीन, भारत, ब्रिटेन और रूस थे जो कुल मिलाकर दुनिया के सैन्य खर्च का 62 प्रतिशत हिस्सा था। अकेले अमेरिका और चीन का हिस्सा 52 प्रतिशत था।’’

 

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