विदेश

चीन का शक्तिशाली जासूसी जहाज बढ़ रहा श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह की तरफ

कोलंबो

 भारत के ओडिशा राज्‍य में अक्‍सर सेना के लिए एडवांस्‍ड मिसाइल के टेस्‍ट किए जाते हैं। इस जगह से श्रीलंका का हंबनटोटा पोर्ट करीब 470 किलोमीटर दूर है। लेकिन अब श्रीलंका के इसी बंदरगाह पर चीन का खतरनाक जासूसी जहाज पहुंचने वाला है। जहाज इतना शक्तिशाली है कि बैलेस्टिक मिसाइल तक को ट्रैक कर सकता है। इस वजह से भारत की तरफ से भी इस पूरे घटनाक्रम पर खासी चिंता जताई जा चुकी है। श्रीलंका ने इसके बाद चीन से इस जहाज का दौरा टालने का अनुरोध किया गया था। मगर इसे चीनी अथॉरिटीज ने पूरी तरह से अनसुना कर दिया। श्रीलंका की राजधानी कोलंबो स्थित चीनी दूतावास की तरफ से इस पूरे मसले पर सीनियर अथॉरिटीज की तरफ से मीटिंग के लिए भी कहा गया था। चीन जानना चाहता था कि आखिर क्‍यों उसे जहाज का दौरा न करने के लिए कहा जा रहा है।

ये जासूसी जहाज इंडोनेशिया से रवाना हो चुका है और 26 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से हंबनटोटा की तरफ बढ़ रहा है। माना जा रहा है कि भारतीय समयानुसार सुबह 9:30 बजे ये जहाज हंबनटोटा पहुंच सकता है। सोमवार को भारत सरकार की तरफ से श्रीलंका के विदेश मंत्रालय से अनुरोध किया गया था कि वो चीन की सरकार से बात करें और इस जहाज का रास्‍ता बदलने के लिए कहे। श्रीलंका के विदेश मंत्रालय की तरफ से इस पर जबाव दिया गया।

विदेश मंत्रालय ने कहा, 'विदेश मंत्रालय ने कोलंबो स्थित चीनी दूतावस पर अधिकारियों से संपर्क किया है और उनसे जहाज को हंबनटोटा पोर्ट से कहीं और ले जाने का अनुरोध किया है।' चीन की तरफ से इस पर पलटकर जवाब दिया गया है। चीन ने भारत का नाम तो नहीं लिया लेकिन कहा कि कुछ खास देश चीन की वैज्ञानिक खोज को सफल होते नहीं देखना चाहते हैं और सामान्‍य संपर्क में बाधा डाल रहे हैं। साथ ही वो चीन और श्रीलंका के बीच आपसी सहयोग को भी प्रभावित कर रहे हैं।

क्‍यों है भारत के लिए खतरा
भारत की तरफ से हिंद महासागर में इस जहाज की मौजूदगी पर चिंता जताई जा चुकी है। ये जहाज सैटेलाइट्स को ट्रैक कर सकता है और साथ ही इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल (ICBM) का पता भी लगा सकता है। ये जहाज युआनवांग क्‍लास का जहाज है। इसका वजन करीब 23,000 टन है और इस पर 400 नौसैनिकों का क्रू आसानी से आ सकता है। इस जहाज पर कई तरह के सेंसर्स लगे हुए हैं। भारत ने इसी वजह से सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इस पर आपत्ति जताई है।

ये जहाज ओडिशा से होने वाले किसी भी मिसाइल के टेस्‍ट का पता लगा सकता है। इसकी मदद से चीन उस खास मिसाइल की परफॉर्मेंस और उसकी सटीक रेंज के बारे में महत्‍वपूर्ण जानकारियां हासिल कर सकेगा। सरकार के सूत्रों की मानें तो वो इस जहाज के हर कदम पर नजर रखे हुए हैं। भारत ने हमेशा से ही श्रीलंका में चीन की मौजूदगी पर आशंका जाहिर की है। श्रीलंका में कई इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर प्रोजेक्‍ट्स के नाम पर निवेश किया हुआ है। जिस हंबनटोटा पोर्ट पर चीन अपने कदम मजबूत करता जा रहा है, उसके लिए उसने 1.4 बिलियन डॉलर निवेश किए हैं।

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