विदेश

गेहूं को कोरोना वैक्सीन न समझें पश्चिमी देश, भारत ने जमाखोरी करने वालों को UN में सुनाई खरी-खरी

न्यूयॉर्क
भारत ने बुधवार को खाद्य कीमतों में “अनुचित वृद्धि” के बीच जमाखोरी और भेदभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए अमीर देशों को आगाह किया। पश्चिमी देशों की ओर इशारा करते हुए, भारत ने कहा कि अनाज को कोविड-19 टीकों की तरह नहीं देखना चाहिए। साथ ही भारत ने जोर देकर कहा कि गेहूं के निर्यात को प्रतिबंधित करने के उसके फैसले से यह सुनिश्चित होगा कि वह वास्तव में सबसे ज्यादा जरूरतमंद लोगों की मदद कर सकेगा।

केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने बुधवार को न्यूयार्क में 'वैश्विक खाद्य सुरक्षा-काल टू एक्शन' पर उच्च मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए कहा, "कई कम आय वाले देश आज बढ़ती लागत और अनाज तक पहुंच में कठिनाई की दोहरी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यहां तक कि पर्याप्त स्टॉक होने के बावजूद भारत के लोगों को भी खाद्य कीमतों में अनुचित वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है। यह स्पष्ट है कि जमाखोरी की जा रही है। हम इसे ऐसे ही नजरअंदाज नहीं कर सकते।" मुरलीधरन मई महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के यूएस प्रेसीडेंसी के तहत अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की अध्यक्षता में 'ग्लोबल फूड सिक्योरिटी कॉल टू एक्शन' पर मंत्रिस्तरीय बैठक में बोल रहे थे। बता दें कि चिलचिलाती गर्मी के कारण गेहूं की उपज में कमी के बीच ऊंची कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए भारत के पिछले शुक्रवार को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

गेहूं को कोरोना वैक्सीन न समझें
भारत ने पश्चिमी देशों से आह्वान और आगाह किया कि खाद्यान्न के मुद्दे को कोविड-19 टीकों की तरह नहीं देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना वैक्सीन अमीर देशों द्वारा उनकी जरूरत से अधिक मात्रा में खरीद ली गई थीं, जिससे गरीब और कम विकसित राष्ट्र अपने लोगों के लिए पहली खुराक देने के लिए हाथ-पांव मार रहे थे। मुरलीधरन ने कड़ा बयान देते हुए कहा, "हम पहले ही देख चुके हैं कि कैसे कोविड-19 के टीकों के मामले में इन सिद्धांतों की अवहेलना की गई थी। खुले बाजार को असमानता को कायम रखने और भेदभाव को बढ़ावा देने का तर्क नहीं बनना चाहिए।" भारत ने कहा कि गेहूं निर्यात पर बैन का उद्देश्य गेहूं और गेहूं के आटे की खुदरा कीमतों को नियंत्रित करना है – जो पिछले एक साल में औसतन 14-20 प्रतिशत बढ़ी है। इसके अलावा भारत ने यह कदम अपने पड़ोसी और कमजोर देशों की खाद्यान्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भी उठाया है।

अनुरोध करने पर दी जाएगी गेहूं निर्यात की इजाजत
विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने पिछले सप्ताह अधिसूचना में कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा दी गई अनुमति के आधार पर गेहूं के निर्यात की इजाजत दी जाएगी। उच्च स्तरीय बैठक में, भारत ने 13 मई की घोषणा के बाद पहली बार संयुक्त राष्ट्र में गेहूं निर्यात प्रतिबंध के मुद्दे पर बात की। मुरलीधरन ने कहा कि भारत सरकार ने गेहूं की वैश्विक कीमतों में अचानक हुई वृद्धि को देखा है, जिसने "हमारी खाद्य सुरक्षा और हमारे पड़ोसियों और अन्य कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।" उन्होंने कहा, "हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि खाद्य सुरक्षा पर इस तरह के प्रतिकूल प्रभाव को प्रभावी ढंग से कम किया जाए और वैश्विक बाजार में अचानक बदलाव के खिलाफ काम किया जाए।" उन्होंने कहा, "अपनी समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने और पड़ोसी और अन्य कमजोर विकासशील देशों की जरूरतों का समर्थन करने के लिए, हमने 13 मई 2022 को गेहूं के निर्यात के संबंध में कुछ उपायों की घोषणा की है।"

केंद्रीय मंत्री ने कहा, "मैं यह स्पष्ट कर दूं कि हमारे इन उपायों के तहत उन देशों को गेहूं निर्यात जारी रहेगा जिन्हें अपनी खाद्य सुरक्षा मांगों को पूरा करना आवश्यक है। यह संबंधित सरकारों के अनुरोध पर किया जाएगा। ऐसी नीति सुनिश्चित करेगी कि हम वास्तव में उन लोगों को जवाब दें जिन्हें सबसे ज्यादा जरूरत है।" मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत वैश्विक खाद्य सुरक्षा को आगे बढ़ाने में अपनी उचित भूमिका निभाएगा "और यह इस तरह से करेगा कि वह समानता बनाए रखे, करुणा प्रदर्शित करे और सामाजिक न्याय को बढ़ावा दे।"

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