पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भारी कटौती करने पर पाकिस्तान के पूर्व PM इमरान खान ने पीएम मोदी जमकर तारीफ
इस्लामाबाद/नई दिल्ली
दुनियाभर में बढ़ती महंगाई और तेल की आसमान छूती कीमतों के बीच भारत में मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भारी कटौती की है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 8.69 रुपये और डीजल 7.35 रुपये सस्ता हो गया है। यही नहीं गैस के दामों में भी कटौती करके गरीबों को राहत देने की कोशिश की गई है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने पीएम मोदी के इस फैसले की जमकर तारीफ की है और दावा किया कि यह अमेरिकी दबाव में आए बिना रूस से सस्ता तेल खरीदने के कारण संभव हुआ है। इमरान खान ने कहा कि रूस से दोस्ती बढ़ाकर उनकी सरकार यही हासिल करना चाहती थी लेकिन 'मीर जाफरों' की वजह से वह नहीं कर पाए और सरकार गिर गई। इमरान खान का यह दावा निराधार नहीं है।
इमरान खान ने भारत के तेल के दाम घटाने के फैसले पर ट्वीट करके कहा, 'क्वॉड का सदस्य होने के नाते भारत पर अमेरिका का लगातार दबाव बना हुआ था और उसने फिर भी रूस से सस्ते दर में तेल खरीदकर जनता को राहत दी है। ठीक यही हमारी सरकार एक स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करके हासिल करना चाहती थी।' एक अन्य ट्वीट में इमरान खान ने 'मीर जाफर' बताते हुए शहबाज शरीफ सरकार और पाकिस्तानी सेना पर निशाना साधा और कहा कि वे विदेशी दबाव के आगे झुक गए। पीटीआई नेता ने लिखा, 'पाकिस्तान का हित सर्वोच्च था लेकिन दुर्भाग्य से स्थानीय मीर जाफर और मीर सादिक विदेशी दबाव के आगे झुक गए जिससे सत्ता में बदलाव हुआ और वे अब घबराहट में इधर-उधर भाग रहे हैं और अर्थव्यवस्था भयंकर गिरावट में है।'
रूस अब भारत का चौथा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश
अमेरिका के विल्सन सेंटर में दक्षिण एशियाई मामलों के जानकार माइकल कुगेलमैन कहते हैं कि रूस से सस्ता तेल लेने के कारण ही इमरान खान अपनी सरकार के अंतिम दिनों में भारत की तारीफ कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इमरान खान रूस से गेहूं और गैस का आयात करना चाहते थे। इमरान खान का यह दावा कुछ हद सही भी है। भारत सरकार ने भले ही टैक्स कम करके पेट्रोलियम पदार्थो के दाम कम किए हों लेकिन अप्रैल महीने में भारत ने रूस से जमकर तेल खरीदा है। आलम यह है कि रूस अब भारत का चौथा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश बन गया है। यही नहीं आने वाले समय में भारत का रूस मंगाना और ज्यादा बढ़ सकता है।
इसकी वजह यह है कि यूक्रेन युद्ध के बाद रूस ने भारत को सस्ती दरों पर तेल की आपूर्ति का ऑफर दिया है। भारत सरकार ने अमेरिकी दबाव को दरकिनार करते हुए मित्र रूस से तेल खरीदने का फैसला किया। दरअसल, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ी खरीदने वाला देश है और इन दिनों यूक्रेन युद्ध और कोरोना की वजह से महंगाई अपने चरम पर है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक रूस से भारत के तेल खरीद में 6 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। भारत पहले जहां प्रतिदिन 66 हजार बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल रूस से लेता था वहीं अब यह बढ़कर अप्रैल में 2,77,000 बैरल प्रतिदिन हो गया है। इससे रूस भारत का चौथा बड़ा तेल सप्लायर बन गया है।
रूस से तेल आयात बढ़कर करीब 5 लाख बैरल प्रतिदिन होगा
भारत ने अफ्रीका और अमेरिका से महंगे तेल की खरीद को घटाकर रूस से सस्ता तेल मंगाना शुरू कर दिया है। इससे भारत को तेल के मोर्चे पर बड़ी राहत मिली है। माना जा रहा है कि मई में भारत का रूस से तेल आयात बढ़कर करीब 5 लाख बैरल प्रतिदिन हो सकता है। भारत इराक, सऊदी अरब और उसके बाद यूएई से सबसे ज्यादा तेल खरीदता है। इमरान खान की कोशिश थी कि वह रूस से दोस्ती बढ़ाकर सस्ता गेहूं और तेल हासिल कर लेंगे और यही वजह है कि उन्होंने यूक्रेन पर रूस के हमले के ठीक बाद मास्को की यात्रा की थी। इससे अमेरिका काफी भड़क गया था और अंतत: इमरान खान की सरकार गिर गई। इमरान खान का दावा है कि अमेरिका के इशारे पर शहबाज शरीफ और सेना ने मिलकर उनकी सरकार को गिराया है।