भारत LAC विवाद का अंतर्राष्ट्रीयकरण कर रहा -ग्लोबल टाइम्स
बीजिंग
विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन 2022 में एक पैनल चर्चा में कहा कि भारत-चीन के संबंध बेहद कठिन दौर से गुजर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर विवाद इसलिए बढ़ा क्योंकि चीन ने दोनों देशों के बीच हुए सीमा-समझौते के उल्लंघन किया. विदेश मंत्री के इस बयान पर चीनी सरकार का मुखपत्र समझे जाने वाले अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारत सीमा विवाद का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की खतरनाक कोशिश कर रहा है, जिससे चीन को सतर्क रहना चाहिए.
ग्लोबल टाइम्स ने एस जयशंकर के बयान पर एक रिपोर्ट छापी है जिसमें अखबार ने लिखा है, 'भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बहुपक्षीय मौके पर चीन-भारत सीमा विवाद का दो बार उल्लेख किया है जहां चीन मौजूद नहीं था. भारत सरकार अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की ताकत का फायदा उठाकर खुद को आगे बढ़ाने और सीमा मुद्दे पर आग से खेलने की कोशिश कर सकती है. ऐसी खतरनाक प्रवृत्ति से चीन को सावधान रहने की जरूरत है.'
'सीमा विवाद का अंतर्राष्ट्रीयकरण करना चाहता है भारत'
चीनी अखबार ने एस जयशंकर के बयान को जगह देते हुए लिखा है कि भारत ने जब ये देखा कि इस मुद्दे को द्विपक्षीय बातचीत से सुलझाना मुश्किल हो रहा है तो उसने इसे सबके सामने उठाया और वो इसका अंतर्राष्ट्रीयकरण करना चाहता है.
चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में एशिया-पैसिफिक स्टडीज विभाग के प्रमुख लैन जियांझू के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, 'भारत इस मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की कोशिश कर सकता है. भारत के लिए अब द्विपक्षीय ढांचे के तहत अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना मुश्किल हो गया है, इसलिए वो अब दूसरे देशों की ओर रुख कर रहा है. भारत को उम्मीद है कि देशों के बीच अपनी शक्ति का लाभ उठाकर वो चीन पर सीमा मुद्दे पर रियायत के लिए दबाव बना सकता है.'
भारत पर ग्लोबल टाइम्स का तंज
रिपोर्ट में आगे तंज भरे अंदाज में लिखा गया, 'जैसे-जैसे यूक्रेन संकट पर तनाव बढ़ता जा रहा है, अमेरिका और पश्चिम का सारा ध्यान भारत-प्रशांत क्षेत्र के बजाय रूस और यूरोप पर है. भारत इससे डरा हुआ है. चीन के साथ सीमा विवाद का जिक्र करके, भारत अमेरिका का ध्यान खींच रहा है और चिल्ला रहा है कि मेरी अपीलों को नजरअंदाज न करें. कृपया अपना दमन और चीन पर नियंत्रण जारी रखें!'
अखबार लिखता है कि भारत-चीन सीमा विवाद को सुलझाने का सबसे सही तरीका द्विपक्षीय चर्चा ही है. भारत वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय स्थिति का इस्तेमाल कर रहा है लेकिन भारत की ये मंशा विफल रही है और कभी सफल नहीं होगी.
विशेषज्ञ के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारत को इतिहास से सीखना चाहिए. अखबार ने लिखा, 'भारत को पहले से ही बाहरी ताकतों से कुछ अवास्तविक उम्मीदें हैं. ऐसी कल्पना संभवतः भारत को सीमा के आसपास और अधिक उत्तेजक कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है.'
'भारत को इतिहास से सीखना चाहिए. पूर्व में भी जब भारत को लगा कि अंतर्राष्ट्रीय वातावरण उसके अनुकुल है तो उसने उत्तेजना दिखाई थी. भारत को वर्तमान अंतरराष्ट्रीय परिवेश, सीमा पर चीन और भारत के बीच संबंधों की स्थिति और अपनी ताकत को व्यावहारिक रूप से पहचानना होगा. केवल इस तरह से वह रणनीतिक गलत आकलन से बच सकता है.'
क्या कहा था भारतीय विदेश मंत्री ने?
म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन 2022 में चर्चा के दौरान एस जयशंकर ने कहा कि चीन ने सीमा समझौते का उल्लंघन किया जिसके बाद तनाव बढ़ा. उन्होंने शनिवार को कहा, 'भारत को चीन के साथ एक समस्या है कि 1975 से 45 साल तक सीमा पर शांति रही, सीमा प्रबंधन स्थिर रहा, कोई सैनिक नहीं मारा गया. लेकिन अब ये सब बदल गया है क्योंकि हमने चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्यबलों की तैनाती नहीं करने के लिए समझौते किए लेकिन चीन ने उन समझौतों का उल्लंघन किया.'
विदेश मंत्री ने कहा कि सीमा की स्थिति ही दोनों देशों के बीच के संबंधों को तय करेगी.