विदेश

साइप्रस में जयशंकर ने देखी वह सड़क जिसका नाम जनरल थिमैया के नाम पर 

लरनाका । भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र की ओर से सेवाएं देने वाले भारतीय शांतिरक्षकों की भूमिका की सराहना की है। भारत और साइप्रस अपने राजनयिक संबंधों के 60 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। इसके बाद जयशंकर फिलहाल साइप्रस की अपनी पहली यात्रा पर हैं। जयशंकर ने यात्रा के दौरान साइप्रस में वह सड़क भी देखी जिसका नाम जनरल के एस थिमैया के नाम पर रखा गया है। विदेश मंत्री ने कुछ तस्वीरें साझा कर ट्वीट किया लरनाका में वह सड़क देखकर अच्छा लगा जिसका नाम जरनल के ए थिमैया के नाम पर रखा गया है। संयुक्त राष्ट्र के लिए सेवाएं दे रहे भारतीय शांतिरक्षकों की दुनियाभर में सराहना होती है।
साइप्रस के विदेश मंत्री इयोनिस कसौलाइड्स ने भी संयुक्त राष्ट्र शांति सेना-साइप्रस में वर्षों से जारी भारत के महत्वपूर्ण योगदान की प्रशंसा कर उसका आभार जताया। संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में भारत के 5887 जवान सेवाएं दे रहे हैं और भारत इस मामले में दूसरे स्थान पर है। कसौलाइड्स ने जयशंकर के साथ मुलाकात के दौरान ये टिप्पणियां कीं। उन्होंने कहा मैं यूएनएफआईसीवाईपी में सैनिकों और पुलिस कर्मियों की भागीदारी के लिए भारत की प्रशंसा करता हूं।
कसौलाइड्स ने कहा साइप्रस बहुत भाग्यशाली है कि देश में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत तीन भारतीय कमांडरों जनरल ज्ञानी जनरल (कोडेंडर सुबैय्या) थिमैया और जनरल दीवान प्रेमचंद ने अपनी सेवाएं प्रदान कीं। उन्होंने कहा जनरल थिमैया ने 1965 में अपनी मृत्यु तक साइप्रस में सेवाएं दीं। तुर्की के आक्रमण के दौरान नागरिकों की सुरक्षा विदेशी राजनयिकों को बचाकर लाने और निकोसिया में हवाई अड्डे की सुरक्षा के लिए जनरल चंद के अथक प्रयासों को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा।
दरअसल जनरल थिमैया भारतीय सेना के एक प्रतिष्ठित सैनिक थे। वह 1957 से 1961 तक सेना प्रमुख रहे। उनका कार्यकाल खत्म होने के ठीक बाद 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ था। कोरियाई युद्ध के बाद थिमैया ने युद्ध बंदियों की अदला-बदली के मामले देखने वाली वाली संयुक्त राष्ट्र इकाई का नेतृत्व किया था। भारतीय सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने साइप्रस में संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक बल की कमान संभाली थी। साइप्रस में ही 1965 में दिल का दौरा पड़ने के बाद उनका निधन हो गया था। वर्ष 1948 से दुनियाभर में स्थापित 71 में से 49 संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में 200000 से अधिक भारतीय सुरक्षाकर्मी सेवाएं दे चुके हैं।

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