पाकिस्तान: ईशनिंदा कानून की आड़ में अल्पसंख्यकों पर बढ़ा अत्याचार, इस रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता
लाहौर
पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून की आड़ में हिंदू और ईसाई जैसे अल्पसंख्यक समुदायों पर लगातार अत्याचार किया जा रहा है। कनाडा के थिंक टैंक इंटरनेशनल फोरम फार राइट्स एंड सिक्योरिटी के अनुसार, पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप में बड़ी संख्या में निर्दोष लोगों को जेल में डाल दिया गया है। इतना ही नहीं इस कानून का हवाला देते हुए लोगों को मौत की सजा भी दी जा रही है।
ईसाई मैकेनिक को सुनाई मौत की सजा
ताजा मामला एक ईसाई मैकेनिक का है, जिसे लाहौर हाई कोर्ट ने इसी महीने ईशनिंदा के लिए मौत की सजा सुनाई है। देश में इस तरह के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है। ईसाई संस्था नेशनल कमीशन फार जस्टिस एंड पीस ने पाकिस्तान में 1987 से 2018 तक ईशनिंदा के खिलाफ दर्ज हुए मामलों का डाटा तैयार किया है। इस डाटा के अनुसार, 2018 तक देश में 776 मुस्लिमों, 505 अहमदिया, 229 ईसाइयों और 30 ¨हदुओं पर ईशनिंदा कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पाकिस्तान में है ईशनिंदा कानून के तहत मौत तक का प्रावधान
बता दें कि पाकिस्तान में सख्त ईशनिंदा कानून के तहत मौत की सजा तक का प्रावधान है। अमेरिकी सरकार के सलाहकार पैनल की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया के किसी भी देश की तुलना में पाकिस्तान में सबसे अधिक ईशनिंदा कानून का दुरुपयोग होता है। ईशनिंदा कानून को अंग्रेजों ने 1860 में बनाया था। इसका मकसद धार्मिक झगड़ों को रोकना था, लेकिन भारत से अलग होने के बाद पाकिस्तान में ये कानून बरकरार रहा और इसके तहत आने वाले मामलों की संख्या में भी लगातार इजाफा हुआ है।
ईशनिंदा कानून के चलते परिवार को होती है परेशानी
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, ईशनिंदा के आरोपों में आरोपी व्यक्ति के साथ-साथ उनके परिवारों के लिए भी खतरा होता है। भले ही संबंधित व्यक्ति पर बाद में ईशनिंदा कानून के तहत अपराध का आरोप लगाया गया हो। ईशनिंदा के आरोपित व्यक्तियों को कथित तौर पर मौत की धमकी, हमले, भीड़ के हमलों का खतरा बना रहता है। ईशनिंदा के आरोपी को पुलिस हिरासत में रहने के दौरान कथित तौर पर प्रताड़ित या मार दिया जाता है।