विदेश

पाकिस्तान के जानलेवा बाढ़ भारतीय उपमहाद्वीप के लिए खतरे की घंटी

नई दिल्ली । पाकिस्तान इन दिनों बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहा है। इनदिनों हर तरफ तबाही का मंजर है। लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से एक तिहाई पाकिस्तान पानी में डूबा हुआ है। जून से अभी तक 1,300 से ज्यादा लोगों की बाढ़ के कारण मौत हो चुकी है। जबकि लाखों की संख्या में लोग बेघर हो गए हैं। साल 2010 के बाद पाकिस्तान में ये सबसे खतनाक बाढ़ है। मौजूदा तबाही ने भारतीय उपमहाद्वीप के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कितना खतरनाक होगा है, पाकिस्तान उसका ताजा उदाहरण है।
चाहे वहां महासागरों में चक्रवातों की बढ़ती तीव्रता हो, रिकॉर्ड तोड़ लंबी गर्मी हो, गंभीर सूखा, या अनियमित मानसून से उत्पन्न होने वाली विनाशकारी बाढ़ हो, सभी से जलवायु परिवर्तन के चलते दुनिया की तस्वीर बदलती जा रही है। औसत से अधिक बारिश हो रही है। भारत का ही उदाहरण लें, तब इस बार आमतौर पर बिहार, बंगाल जिन इलाकों में हर साल मानसून के सीजन में जमकर बारिश होती है, वहां सूखे से लोग बेहाल हैं। ग्लोबल तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस या 2.0 डिग्री सेल्सियस तक की बढ़त दिख रही है। पृथ्वी गरम हो रही है, और ये सभी प्राकृतिक प्रणालियों का सामना करने की हमारी क्षमता से कहीं अधिक तेजी से प्रभावित कर रही है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून से दूरगामी खतरे उभर रहे हैं। इसकारण जून से लेकर चार महीने के दौरान सालाना 70-80 प्रतिशत बारिश होती है। जिन शहरों और कस्बों में कभी बाढ़ नहीं आई थी, वे अल्पकालिक अत्यधिक वर्षा की घटनाओं में जलमग्न हो रहे हैं। वे क्षेत्र हैं जो मौसम के अधिकांश भाग के लिए सूखे रहते हैं, लेकिन अचानक कुछ दिनों तक चलने वाली मूसलाधार बारिश से प्रभावित हो जाते हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के पूर्व प्रमुख कहते हैं, अभी और अधिक मौसम का रिकॉर्ड टूटना तय है। लेकिन ये सब हमारी अपेक्षा से बहुत पहले हो रहा है। इस साल अगस्त में बंगाल की खाड़ी में बनने वाले बैक-टू-बैक डिप्रेशन काफी असामान्य थे, और सभी ने मध्य भारत में गुजरात तक एक ही रास्ता तय किया, जिससे भारी बारिश और बाढ़ आई। इसी में से एक सिस्टम के तहत पाकिस्तान में भारी बारिश हुई।
जैसे-जैसे वैश्विक तापमान बढ़ता है, वातावरण की नमी होल्ड करने की क्षमता भी बढ़ती है। इसलिए ये लंबे समय तक टिका रहता है और फिर अचानक कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों में सारी नमी छोड़ देता है। इसी के चलते लगातार भारी बारिश हो रही है।जलवायु मॉडल ने लंबे समय से सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र सहित प्रमुख हिमालयी नदी घाटियों में बाढ़ की आवृत्ति, स्थानिक सीमा और बाढ़ की गंभीरता में वृद्धि की चेतावनी दी है। अपनी 2020 की रिपोर्ट में, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने भी अनिश्चित मानसून के कारण भारत में बाढ़ के बढ़ते जोखिम पर चिंता जताई थी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button