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देवसहायम पिल्लई को पोप फ्रांसिस ने घोषित किया संत, जानें कौन हैं यह उपाधि हासिल करने वाले पहले भारतीय

वेटिकन सिटी
देवसहायम पिल्लई को पोप फ्रांसिस ने संत घोषित किया है। यह उपलब्धि हासिल करने वाले वह पहले भारतीय हैं। उनका जन्म हिंदू परिवार में हुआ था लेकिन उन्होंने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया था। वेटिकन में पोप फ्रांसिस ने यह ऐलान किया। पीटर्स बेसिलिका में संतों की सूची में 9 अन्य नाम भी शामिल किए गए हैं।  साल 2004 में ही कोट्टर सूब, तमिलनाडु बिशप्स काउंसिल और भारत के कैथोलिक बिशप्स संगठन ने वेटिकन से बीटिफिकेशन की प्रक्रिया में उनको शामिल करने की सिफारिश की थी। देवसहायम पिल्लई ने 1745 में ही ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया था और अपना नाम 'लाजरस' रख लिया था। इसका भी अर्थ देवों की सहायता करने वाला होता है।

पिल्लई के चमत्कारिक परोपकारी कार्यों को पोप फ्रांसिस ने वर्ष 2014 में मान्यता दी गई थी। इससे वर्ष 2022 में उन्हें (पिल्लई को) संत घोषित किए जाने का रास्ता साफ हो गया था। प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही पिल्लई पहले भारतीय आमजन हैं जो संत घोषित किए गए हैं।  देवसहायम का जन्म 23 अप्रैल 1712 में एक हिंदू नायर परिवार में हुआ था। उनका मूल नाम नीलकंठ पिल्लई है। वह कन्याकुमारी स्थित नट्टलम के रहने वाले थे जो तत्कालीन त्रवणकोर राज्य का हिस्सा था। वह त्रावणकोर के महाराजा मार्तंड वर्मा के दरबार में कर्मचारी थे। उन्हें डच नौसेना के कमांडर ने कैथोलिक ईसाई धर्म की दीक्षा दी थी। देवसहायम को उनके जन्म के 300 साल बाद कोट्टर में दो दिसंबर 2012 को सौभाग्यशाली घोषित किया गया।

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