विदेश

छोटे से द्वीप में क्यों ताकत दिखा रहीं महाशक्तियां, जापान भेज रहा दूत

टोक्यो
महज 7 लाख की आबादी वाला सोलोमन द्वीप दुनिया की महाशक्तियों के लिए ताकत के प्रदर्शन का अड्डा बन गया है। सोलोमन द्वीप के साथ चीन के हालिया समझौते से उपजी चिंता के बीच जापान सोमवार को इस दक्षिण प्रशांत राष्ट्र में अपने एक उप विदेश मंत्री को भेज रहा है। ऐसी आशंका है कि द्वीपीय राष्ट्र और चीन के बीच हुए समझौते से क्षेत्र में बीजिंग का सैन्य प्रभाव बढ़ सकता है। उप विदेश मंत्री केंटारो उसुगी की सोलोमन द्वीप की तीन दिवसीय यात्रा एक वरिष्ठ अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के बाद हो रही है, जिन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि चीन के साथ सुरक्षा सौदा अमेरिका और सहयोगियों के हितों के लिए खतरा पैदा करता है तो वाशिंगटन सोलोमन के खिलाफ कार्रवाई करेगा।
 
चीन और सोलोमन ने पिछले सप्ताह सुरक्षा समझौते की पुष्टि की थी, जिसने पड़ोसी देशों और जापान सहित पश्चिमी सहयोगियों को भी चिंतित कर दिया है, जिन्हें इस क्षेत्र में एक सैन्य निर्माण का डर है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और जापान जैसे देशों को डर है कि चीन अब सोलोमन द्वीप मे अपना सैन्य बेस बना सकता है, जो उनके लिए खतरा होगा। जापान के विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी ने शुक्रवार को कहा, 'हमारा मानना है कि यह समझौता पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है और हम इस घटनाक्रम को चिंता के साथ देख रहे हैं।'

सेनकाकू द्वीप को लेकर भी चिंतित है जापान
सोलोमन द्वीप की अपनी यात्रा के दौरान उसुगी के सुरक्षा समझौते के बारे में जापान की चिंता को व्यक्त करने और द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करने की उम्मीद है। जापान पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में चीन की लगातार बढ़ती सैन्य गतिविधि को दुनिया के कुछ व्यस्ततम समुद्री मार्गों में एक खतरे के रूप में देखता है। जापान विशेष रूप से जापान नियंत्रित सेनकाकू द्वीपों के पास पूर्वी चीन सागर में चीनी सैन्य और तट रक्षक गतिविधि के बारे में चिंतित है, जिस पर चीन भी दावा करता है और उसे डियाओयू कहता है।

अमेरिका ने किया था दूतावास खोलने का ऐलान
गौरतलब है कि सोलोमन को साधने के लिए ही अमेरिका ने पिछले दिनों वहां अपना दूतावास खोलने का ऐलान किया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय का कहना था कि सोलोमन द्वीप के लोगों ने दूसरे विश्वयुद्ध के मैदानों में अमेरिका के साथ अपने संबंधों के इतिहास को संजो कर रखा है। हालांकि अमेरिका को जो संबंधों में वरीयता मिलती है, उस पर खतरा मंडरा रहा है क्योंकि चीन सोलोमन द्वीप के राजनेताओं और कारोबारियों को 'अपने साथ लाने की कोशिशों में आक्रामक तरीके से' जुटा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button