भारत के गेहूं पर प्रतिबंध से कांपा विश्व बाजार, कई देशों में संकट, UN में दोस्त देश ने ही उठाई आवाज
वॉशिंगटन/नई दिल्ली
गेहूं निर्यात करने पर भारत सरकार के प्रतिबंध लगाने के बाद वैश्विक खाद्य बाजार में हड़कंप म गया है और शनिवार को अंतरराष्ट्रीय कीमतों में लगभग 6 प्रतिशत प्रति बुशल (60 पाउंड या एक मिलियन कर्नेल या 27.21 किलोग्राम) की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। भारत द्वारा लगाए गये प्रतिबंध का बाजार खुलने के साथ ही असर दिखने शुरू हो गया और गेहूं की कीमतों में भारी इजाफा होना शुरू हो गया। हालांकि, भारतीय बाजारों में इसका असर ठीक उल्टा हुआ है देश के अंदर कई राज्यों में गेहूं की कीमतों में 4 से 8 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है। गेहूं की कीमतों में इजाफा पूरी दुनिया को गेहूं निर्यात में रूस और यूक्रेन काफी अहम भूमिका निभाता है, लेकिन दोनों ही देश युद्ध में फंसे हैं, लिहाजा पूरी दुनिया भारत की तरफ देख रही थी, लेकिन भारत सरकार ने डायरेक्ट बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया और भारत सरकार की तरफ से कहा गया है कि, फिलहाल निजी कंपनियों को गेहूं की बिक्री नहीं की जाएगी, बल्कि अगर किसी देश को गेहूं चाहिए, तो वो भारत सरकार से सीधा बात करे। वहीं, आपको बता दें कि, 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद वैश्विक गेहूं की कीमतें 2022 में 60 प्रतिशत से अधिक उछल गईं हैं। सिर्फ रूस और यूक्रेन मिलकर ही विश्व के गेहूं के निर्यात का लगभग एक तिहाई हिस्सा बेचते थे।
भारतीय प्रतिबंध का भारी असर ग्लोबल मार्केट में भारत कुल 5 प्रतिशत गेहूं का निर्यात करता है और भारत के प्रतिबंध लगाने के फैसले के बाद वैश्विक बाजार में इसका नकारात्मक असर पड़ा है। शिकागो में वायदा बाजार में सोमवार को 5.9 फीसदी की तेजी के साथ 12.47 डॉलर प्रति बुशल हो गया, जो दो महीने में सबसे ज्यादा है। 13 मई को पिछले कारोबारी सत्र में समापन मूल्य, जिस दिन भारत ने प्रतिबंध लगाया था, उस दिन 11.77 डॉलर प्रति बुशल था। हालांकि, भारतीय बाजारों की बात करें तो, विभिन्न राज्यों में कीमतों में 4-8 प्रतिशत की तेजी से गिरावट आई है। राजस्थान में 200-250 रुपये प्रति क्विंटल, पंजाब में 100-150 रुपये प्रति क्विंटल और उत्तर प्रदेश में लगभग 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई है। भारत ने कितना गेहूं का निर्यात किया? भारत सरकार के वाणिज्य विभाग के पोर्टल के अनुसार, भारत ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के पहले 11 महीनों (अप्रैल 2021 से फरवरी 2022) में 66.41 लाख टन गेहूं का निर्यात किया (1 टन 1,000 किलोग्राम या 2,204.6 पाउंड है)।
यह डेटा लेटेस्ट अमेरिकी कृषि विभाग की मई 2022 की रिपोर्ट के अनुरूप है, जो जुलाई 2021 से जून 2022 तक 12 महीनों में भारत से गेहूं का निर्यात 10 मिलियन मीट्रिक टन (1 टन 2,000 पाउंड) होने का अनुमान लगाता है। इस अवधि के दौरान कुल विश्व गेहूं का निर्यात 201.5 मिलियन मीट्रिक टन होने का अनुमान है। 45 लाख मीट्रिक टन निर्यात अनुबंधित चालू वित्त वर्ष में (अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक) भारत सरकार का अनुमान है कि लगभग 45 लाख मीट्रिक टन गेहूं निर्यात का कॉन्ट्रैक्ट पहले ही किया जा चुका है, लिहाजा उस गेहूं का निर्यात किया जाना निश्चित है। इसमें से अकेले अप्रैल 2022 में 14.63 लाख मीट्रिक टन निर्यात किया गया है, जो पिछले साल के इसी महीने में 2.43 लाख मीट्रिक टन से काफी अधिक है। इसके अलावा, इस साल अप्रैल में 95,167 मीट्रिक टन आटा निर्यात किया गया है, जो अप्रैल 2021 में 25,566 मीट्रिक टन से लगभग चार गुना अधिक है। वहीं, गेहूं निर्यात पर पाबंदी लगाने के फैसले का सात देशों के समूह (जी-7) ने भी निराशा व्यक्त की है। जर्मनी में जी-7 कृषि मंत्रियों की बैठक के बाद, जर्मन कृषि मंत्री केम ओजडेमिर ने कहा कि निर्यात प्रतिबंध "संकट को और खराब करेगा"। ओजडेमिर ने शनिवार को स्टटगार्ट में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि, "अगर हर कोई निर्यात प्रतिबंध या बाजार बंद करना शुरू कर देता है, तो इससे संकट और खराब हो जाएगा।" भारत ने फैसले का किया बचाव वहीं, भारत सरकार ने अपने फैसले का बचाव किया है।
केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने शनिवार को एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा कि प्रतिबंध "अनिवार्य रूप से मूल्य वृद्धि के मद्देनजर" था। कैलेंडर वर्ष 2022 में लगातार चार महीनों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत से अधिक रही है, अप्रैल के लिए प्रिंट बढ़कर 7.79 प्रतिशत हो गया है, जो कि 6 प्रतिशत के आरबीआई मुद्रास्फीति लक्ष्य के ऊपरी बैंड से बहुत अधिक है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में पीडीएस के गेहूं/आटे का भार 0.17 और अन्य स्रोतों से प्राप्त गेहूं/आटे का भार 2.56 है। विकासशील देशों पर भारी असर वहीं, रिसर्च एजेंसियों ने कहा है कि, भारत सरकार द्वारा गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का सबसे ज्यादा असर विकासशील देशों पर होगा। प्रतिबंध के बाद एक नोट में नोमुरा ग्लोबल मार्केट्स रिसर्च ने बताया कि, भारत और ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर, ज्यादातर एशियाई अर्थव्यवस्थाएं घरेलू खपत के लिए आयातित गेहूं पर निर्भर हैं और वैश्विक स्तर पर गेहूं की ऊंची कीमतों से जोखिम में हैं, भले ही वे सीधे भारत से आयात न करें। नोमुरा ने कहा कि इसका खामियाजा विशेष रूप से बांग्लादेश को भुगतना पड़ेगा। दरअसल, बांग्लादेश भारतीय गेहूं का सबसे बड़ा खरीदार है, जिसने 2021-22 में 38.04 लाख टन आयात किया। श्रीलंका (5.48 लाख टन), यूएई (4.24 लाख टन), इंडोनेशिया (3.66 लाख टन), फिलीपींस (3.52 लाख टन) और नेपाल (2.90 लाख टन) भारतीय गेहूं के अन्य बड़े आयातक हैं।