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शिक्षा से बदली तकदीर, कृषक मजदूर का बेटा बना दारोगा

 डुमरांव

शिक्षा की लौ ने एक कृषक मजदूर परिवार के तकदीर को बदल दिया है।शिक्षा के बदौलत कृषक मजदूर का बेटा का चयन दारोगा के पद पर हुआ है।बेटे की सफलता ने संघर्षो के बीच जीवन गुजारने वाले मजदूर पिता के मुरझाये चेहरे जीत की खुशी तैर गयी है।

डुमरांव प्रखंड के कसियां पंचायत के करुअज गांव का लक्ष्मण पासवान के तीन बेटे और दो पुत्री में विक्की कुमार सबसे बडा था।पिता खेतों में मजदूरी कर परिवार का किसी तरह भरण पोषण कर रहे थे।लेकिन बेटे को बडा बनाने का सपना देख रहे थे।संघर्षों के बीच मजदूर पिता का सपना भी आकार ले रहा था।डुमरांव के राज हाई स्कूल से मैट्रिक और डी.के.कॉलेज से बीए तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद विक्की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लग गया।विक्की बताते हैं कि पिता गांव में मिर्च और आलू बेचकर पैसा भेजते थे।उस पैसों से किसी तरह खर्चा चलाता था।पिता के संघर्षों से ताकत मिलती रही और यही ताकत सफलता की ऊंचाइयों तक ले गया।विक्की कहते हैं कि शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है।जिसके बदौलत इंसान अपनी तकदीर बदल सकता है।

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